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Showing posts from April, 2019

पौधा मुरझा रहा है...

शहर में पति-पत्नी रहते थे। पत्नी को बागवानी का शौक था, इसलिए उन्होंने कुछ दिनों पहले ही घर की छत पर कुछ गमले रखकर एक छोटा सा गार्डन बना लिया था। पत्नी रोज पौधों की देखभाल किया करती थी, मगर पति के समय इन कामों के लिए समय नहीं था। एक रविवार जब पति छत पर गया तो उसने देखा कि कुछ गमलों में फूल खिले हैं, कुछ गमलों में नई कोपलें निकल आई हैं। नींबू के पौधे में दो नींबू लटक रहे थे, कुछ गमलों में हरी सब्जियां भी दिखाई दे रही थीं। कुछ देर बाद पत्नी भी छत पर आ गई। पत्नी ने देखा कि एक पौधा जो दूसरों पौधों से अलग रखा था, मुरझा रहा था। पत्नी ने उसे उठाकर दूसरे पौधों के साथ रख दिया। पत्नी को ऐसा करते देख पति ने कहा- ये पौधा वहीं ठीक था, इसे सबके साथ क्यों रख रही हो? पत्नी ने कहा- ये पौधा दूसरे पौधों से अलग होने के कारण मुरझा रहा था, इसलिए इसे सबके साथ रख रही हूं। पति ने हंसकर कहा- अगर पौधा मुरझा रहा है तो इसमें खाद और पानी डालो, वो फिर से हरा-भरा हो जाएगा। पत्नी ने कहा- पौधे अकेले में सूख जाते हैं, लेकिन उन्हें अगर किसी और पौधे का साथ मिल जाए तो जी उठते हैं। पति को ये बात सुनने में थोड़ी अजीब लगी

जनेऊ क्या है और इसकी क्या महत्वता है ?

जनेऊ क्या है और इसकी क्या महत्वता है ? भए कुमार जबहिं सब भ्राता। दीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता॥ जनेऊ क्या है : आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कांधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को जनेऊ कहते हैं। जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है। यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे। तीन सूत्र क्यों : जनेऊ में मुख्यरूप से तीन धागे होते हैं। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं और  यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है। यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है।यह तीन आश्रमों का प्रतीक है। संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है। नौ तार : यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। इस तरह कुल तारों की संख्या नौ होती है। एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं। पांच गांठ : यज्ञोपवीत में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अ