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Showing posts from May, 2020

UNIQUE VILLAGES IN INDIA

UNIQUE VILLAGES IN INDIA:- __________________________ 01. SHANI SHIGNAPUR, Maharashtra. All Houses in the entire village are without Doors.  Even No Police Station.  No Thefts. 02. SHETPHAL, Maharashtra. Villagers have SNAKES in every family as their family members.  03. HIWARE BAZAR, Maharashtra. Richest Village in India.  60 Millionaires.  No one is poor  Highest GDP. 04. PUNSARI, Gujrat. Most modern Village.  All Houses with CCTV & WI-FI.  All street lights are Solar Powered. 05. JAMBUR, Gujarat. All villagers are Indians Still all look like Africans.  Nicknamed as African Village.  06. KULDHARA, Rajasthan. Haunted village.  No one lives there.  A village without villagers All Houses are abandoned.  07. KODINHI, Kerela. Village of TWINS.  More than 400 Twins.  08. MATTUR, Karnataka. Village with 100% SANSKRIT speaking villagers in their normal day to day conversation.  09. BARWAAN KALA, Bihar. Village of Bachelors.  No marriage since last 50 years. 10. MAWLYNNONG, Meghalaya. Cle

🥃 🥃 मुझे शराब से महोब्बत नही है...

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🥃 🥃  मुझे शराब से महोब्बत नही है... महोब्बत तो उन पलो से है.... जो शराब के बहाने मैं.... दोस्तो के साथ बिताता हूँ..... 🥃🥃  शराब तो ख्वामखाह ही बदनाम है. नज़र घुमा कर देख लो इस दुनिया में शक्कर से मरने वालों की तादाद बेशुमार हैं! 🥃🥃 तौहीन ना कर शराब को कड़वा कह कर, जिंदगी के तजुर्बे, शराब से भी कड़वे होते है ! 🥃🥃 कर दो तब्दील अदालतों को मयखानों में साहब  सुना है नशे में कोई झूठ नहीं बोलता!                                                                 l🥃🥃 "बर्फ का वो शरीफ टुकड़ा जाम में क्या गिरा बदनाम हो गया" ! "देता जब तक अपनी सफाई  वो खुद शराब हो गया" ! 🥃🥃 ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो, कुछ  आदतें बुरी भी सीख ले गालिब ..... ऐब न हों तो, लोग  महफ़िलों में नहीं बुलाते..... अभी तो सेनेटाइजर का जमाना है....  वो भी शराब का ही भाई है...  फर्क बस इतना है...  शराब अंदर से साफ करती है...  और सेनेटाइजर बाहर से.... 🥃👌🏻🥃 चिअर्स 🍺👌🏻🍺

Don’t know why Dad is always lagging behind.

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Don’t know why Dad is always lagging behind. 1. Mom carries for 9 months, Dad carries for 25 years, both are equal, still don’t know why Dad is lagging behind. 2. Mother works without pay for the family, Dad spends all his pay for the family, both their efforts are equal, still don’t know why Dad is lagging behind. 3. Mom cooks whatever you want, Dad buys whatever you want, both their love is equal, but Mom’s love is shown as superior. Don’t know why Dad is lagging behind. 4. When you talk over the phone, you want to talk to Mom first, if you get hurt, you cry ‘Mom’. You will only remember dad when you need him, but did Dad never feels bad that you don’t remember him the other times? When it comes to receiving love from children, for generations, don’t know why Dad is lagging behind. 5. Cupboards will be filled with colorful sarees and many clothes for kids but Dad’s clothes are very few, he doesn’t care about his own needs, still don’t know why Dad is lagging behind. 6. Mom has

ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है....

तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है... और तू मेरे गांव को गँवार कहता है .... ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है.... तू चुल्लू भर पानी को भी वाटर पार्क कहता है.... थक  गया है हर शख़्स काम करते करते .... तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है... गांव  चलो वक्त ही वक्त है सबके पास .... तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है ..... मौन  होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं .... तू इस मशीनी दौर  को परिवार कहता है .... जिनकी सेवा में खपा  देते थे जीवन सारा.... तू उन माँ बाप  को अब भार कहता है ..... वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे.... तू दस्तूर  निभाने को रिश्तेदार कहता है .... बड़े-बड़े मसले हल करती थी पंचायतें ..... तु अंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है .... बैठ जाते थे अपने पराये सब बैलगाडी में .... पूरा परिवार  भी न बैठ पाये उसे तू कार कहता है .... अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं ..... तू इस नये दौर  को संस्कार कहता है .....

खता मत गिन दोस्ती में...

"खता मत गिन दोस्ती में, कि किसने क्या गुनाह किया ..." "दोस्ती तो एक नशा है, जो तूने भी किया और मैंने भी किया ..." मिली हैं रूहें तो, रस्मों की बंदिशें क्या हैं..... यह जिस्म तो ख़ाक हो जाना है, फिर रंजिशें क्या है.....  हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में...!! कुछ दर्द चले जाते है, दोस्तो के साथ मुस्कुराने मे......

ज़िंदगी में पहले ऐसा पंगा नहीं देखा।

ज़िंदगी में पहले ऐसा पंगा नहीं देखा। हवा शुद्ध है पर मास्क पहनना अनिवार्य है।  सड़कें खाली हैं पर लॉन्ग ड्राइव पर जाना नामुमकिन है। लोगों के हाथ साफ हैं पर हाथ मिलाने पर पाबंदी है। दोस्तों के पास साथ बैठने के लिए वक़्त है पर उनके दरवाजे बंद हैं। गंगा का पानी साफ हो गया है पर उसे पीना किस्मत में नहीं है! पार्क खाली हैं पर पेड़ों के पीछे प्रेमी जोड़े कसरत नहीं कर सकते। अपने अंदर का कुक दीवाना हुआ पड़ा है पर किसी को खाने पर बुला नहीं सकते। सोमवार को भी ऑफिस जाने के लिए दिल मचल रहा है पर ऑफिस में लंबा वीकेंड है। जिनके पास पैसे हैं उनके पास खर्च करने के रास्ते बंद हैं। जिनके पास पैसे नहीं हैं उनके पास कमाने के रास्ते बंद हैं। पास में समय ही समय है लेकिन अधूरी ख्वाहिशें पूरी नहीं कर सकते। दुश्मन जगह-जगह है पर उसे देख नहीं सकते। कोई अपना दुनिया छोड़कर चला जाए तो उसे छोड़ने जा भी नहीं सकते। है तो सब-कुछ पर कुछ कर नहीं सकते।

वो बचपन...

पांचवीं तक स्लेट की बत्ती को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें । पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था । "पुस्तक के बीच विद्या , पौधे की पत्ती और मोरपंख रखने से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास था"।  कपड़े के थैले में किताब कॉपियां जमाने का विन्यास हमारा रचनात्मक कौशल था । हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते तब कॉपी किताबों पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का वार्षिक उत्सव था ! माता पिता को हमारी पढ़ाई की कोई फ़िक्र नहीं थी , न हमारी पढ़ाई उनकी जेब पर बोझा थी ।  सालों साल बीत जाते पर माता पिता के कदम हमारे स्कूल में न पड़ते थे ।     एक दोस्त को साईकिल के डंडे पर और दूसरे को पीछे कैरियर पर बिठा हमने कितने रास्ते नापें हैं , यह अब याद नहीं बस कुछ धुंधली सी स्मृतियां हैं ।     स्कूल में पिटते हुए और मुर्गा बनते हमारा ईगो हमें कभी परेशान नहीं करता था , दरअसल हम जानते ही नही थे कि ईगो होता क्या है ? पिटाई हमारे दैनिक जीवन की सहज सामान्य प्रक्रिया थी ,      "पीटने वाला और पिटन