खता मत गिन दोस्ती में...

"खता मत गिन दोस्ती में, कि किसने क्या गुनाह किया ..."

"दोस्ती तो एक नशा है, जो तूने भी किया और मैंने भी किया ..."
मिली हैं रूहें तो, रस्मों की बंदिशें क्या हैं.....

यह जिस्म तो ख़ाक हो जाना है,
फिर रंजिशें क्या है.....
 हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में...!!

कुछ दर्द चले जाते है,
दोस्तो के साथ मुस्कुराने मे......

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