खुद को गिरा कर रिश्ता बचा रहे थे हम..
खुद को गिरा कर रिश्ता बचा रहे थे हम..
मोहब्बत उसे भी है खुद को बता रहे थे हम...
लौट आयेगी वापस तो लिपट कर रोएंगे दोनो..
खुद से फरेब बा-खुदी निभा रहे थे हम...
खास जरूरत नहीं थी उसको मेरी
फिर भी...
बिन बुलाए ही वापस जा रहे थे हम...
उसका जिक्र हुआ तो किस्सा सुना रहे थे हम...
उस किस्से में भी उसको अपना बता रहे थे हम...
वक्त रहते खुद को आइना दिखा रहे थे हम...
कागज पर नाम लिख उसका खुद ही मिटा रहे थे हम...
Kyaaa baath
ReplyDeleteHr shbd ki ghrai ek khani bya Katie h...
ReplyDeleteHeart touching poem....very nice....
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