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Showing posts from July, 2024

बात जब ‘आत्मसम्मान’ की हो ...

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  बात जब ‘ आत्मसम्मान ’ की हो ... तो याद रखना बहुत ‘ बेरहम ’ शख़्स हूं मैं...

देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए ....

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    देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए , हाथ मै टिकट था मगर हम घर नही गए ।   सफर शुरू किया था की घर जायेंगे , ये किसने सोचा था की मर जायेंगे ।   रो रहा था बहुत परेशान था वह सबसे पूछ रहा था , एक बाप लाशों के ढेर में अपना बेटा ढूँढ रहा था।