देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए ....

 


 

देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए,

हाथ मै टिकट था मगर हम घर नही गए ।

 

सफर शुरू किया था की घर जायेंगे,

ये किसने सोचा था की मर जायेंगे ।

 

रो रहा था बहुत परेशान था वह सबसे पूछ रहा था,

एक बाप लाशों के ढेर में अपना बेटा ढूँढ रहा था।

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