आज में अपना सब कुछ गवाए बैठा हूँ ..................

आज में अपना सब कुछ गवाए बैठा हूँ , जाने कौन-कौन से दर्द सीने से लगाये बैठा हूँ , ठोकरे और रुस्वाइयां मिलने के बावजूद भी कुछ यादो को दिल के आइनों में छुपाये बैठा हूँ.........

अश्कों की बरसात होती ही रहती है इन आँखों में, फिर भी इनमे कुछ हसीं सपने सजाये बैठा हूँ , मिले कांटे ही हमें जिस राह पैर भी चले हम में ज़माने की हर राह को आजमाए बैठा हूँ.........

निग़ाहें मिलायी थी हमने तुमसे वफा की चाह में , वफा के बदले सीने पर अपने जखमो को खाए बैठा हूँ , किसी कीमत पर नहीं झुका सिर मेरा कभी किसी के आगे बस तेरे लिए ही इसे कब से झुकाये बैठा हूँ..........

कही लग न जाये काँटा कोई तेरे पाव में , इसलिए रास्तो पर तेरे कलिया फैलाये बैठा हूँ , सिर्फ तुम्हारा प्यार पाने के खातिर में ज़माने के बाकि सारे सुखो को ठुकराये बैठा हूँ............

कभी तो आकर देख ले एक बार , तेरी यादो में , मै खुद को लुटाए बैठा हूँ , बस तेरे प्यार का ही कर्ज बाकी है मुझपर वरना ज़माने के हर कर्ज को चुकाए बैठा हूँ ,
खुद भी न जाने ‘कब उठ जाये अर्थी मेरी’ , बस तेरे इन्तेजार मै दिल को सजाये बैठा हूँ.........................


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