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Showing posts from November, 2018

बड़े दिन हो गए...

वो माचिस की सीली डब्बी, वो साँसों में आग.. बरसात में सिगरेट सुलगाये ....बड़े दिन हो गए...। एक्शन का जूता और ऊपर फॉर्मल सूट... बेगानी शादी में दावत उड़ाए ....बड़े दिन हो गए...। ये बारिशें आजकल रेनकोट में सूख जाती हैं... सड़कों पर छपाके उड़ाए ....बड़े दिन हो गए.... । अब सारे काम सोच समझ कर करता हूँ ज़िन्दगी में.... वो पहली गेंद पर बढ़कर छक्का लगाये ....बड़े दिन हो गए...। वो ढ़ाई नंबर का क्वेश्चन पुतलियों में समझाना... किसी हसीन चेहरे को नक़ल कराये ...बड़े दिन हो गए.... । जो कहना है फेसबुक पर डाल देता हूँ.... किसी को चुपके से चिट्ठी पकड़ाए ...बड़े दिन हो गए.... । बड़ा होने का शौक भी बड़ा था बचपन में.... काला चूरन मुंह में तम्बाकू सा दबाये ... बड़े दिन हो गए.... । आजकल खाने में मुझे कुछ भी नापसंद नहीं.... वो मम्मी वाला अचार खाए बड़े दिन हो गए.... । सुबह के सारे काम अब रात में ही कर लेता हूँ.... सफ़ेद जूतों पर चाक लगाए ..बड़े दिन हो गए..... । लोग कहते हैं अगला बड़ा सलीकेदार है.... दोस्त के झगड़े को अपनी लड़ाई बनाये बड़े दिन हो गए..... । वो साइकल की सवारी और ऑड

रिश्ते जताने लोग मेरे घर भी आयेंगे...

“रिश्ते जताने लोग मेरे घर भी आयेंगे फल आये हैं तो पेड़ पे पत्थर भी आयेंगे, जब चल पड़े हो सफ़र को तो फिर हौसला रखो सहरा कहीं, कहीं पे समंदर भी आयेंगे, कितना गुरुर था उसे अपनी उड़ान पर उसको ख़बर न थी कि मेरे पर भी आयेंगे, मशहूर हो गया हूँ तो ज़ाहिर है दोस्तो इलज़ाम सौ तरह के मेरे सर भी आयेंगे, थोड़ा सा अपनी चाल बदल कर चलो सीधे चले तो पींठ में खंज़र भी आयेंगे….

तू अपनी खूबियां ढूंढ .... कमियां निकालने के लिए लोग हैं |

तू अपनी खूबियां ढूंढ .... कमियां निकालने के लिए लोग हैं | अगर रखना ही है कदम.... तो आगे रख , पीछे खींचने के लिए लोग हैं | सपने देखने ही है ..... तो ऊंचे देख , निचा दिखाने के लिए लोग हैं | अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का , जलने के लिए लोग हैं | अगर बनानी है..... तो यादें बना , बातें बनाने के लिए लोग हैं| प्यार करना है.... तो खुद से कर , दुश्मनी करने के लिए लोग है | रहना है.... तो बच्चा बनकर रह , समझदार बनाने के लिए लोग है | भरोसा रखना है.... तो खुद पर रख , शक करने के लिए लोग हैं | तू बस सवार ले खुद को... आईना दिखाने के लिए लोग हैं | खुद की अलग पहचान बना.... भीड़ में चलने के लिए लोग है | तू कुछ करके दिखा दुनिया को...... बस कुछ करके दिखा , तालियां बजाने के लिए लोग हैं |

अगर कबीर के समय स्टॉक मार्केट होता तो वे कुछ ऐसा ही कहते.

अगर कबीर के समय स्टॉक मार्केट होता तो वे कुछ ऐसा ही कहते. तेजी मे इन्वेस्ट सब करें... मंदी में करें न कोय.... जो मंदी में इनवेस्ट करें..... सदा करें एन्जॉय ॥ तेजी मंदी दोनों चलें.... तभी मार्किट कहलाय ... तेजी में बेचे न कोय... मंदी आये घबराए ॥ आलसी - लालची और ऋणी इस मार्किट में ना आये  ... काबू रहें न खुद के ... मार्केट  पे दोष लगाय ॥ cnbc सुन सुन के मुआ पंडित भया ना  कोय ... सब्र और समझ से काम ले.... वही खिलाडी होय ॥ बॉटम बॉटम सब कहे बॉटम बना न कोय जब असल में बॉटम आये रोकड़ा बचा न होय ॥

Why IRCTC doesn't allow you to Choose Seat's?

Why  IRCTC does not allow you to choose seats? Would you believe that the technical reason behind this is PHYSICS. Booking a seat in a train is far more different than booking a seat in a theatre. Theatre is a hall, whereas train is a moving object. So safety concern is very high in trains. Indian railways ticket booking software is designed in such a way that it will book tickets in a manner that will distribute the load evenly in a train. An example to make things  more clear : Imagine there are sleeper class coaches in a train numbered S1, S2 S3... S10, and in every coach there are 72 seats. So when some one first books a ticket, software will assign a seat in the middle coach like S5, middle seat numbered between 30-40, and preferably lower berths (Railways first fills the lower berths than upper one so as to achieve low centre of gravity.) And the software books seats in such a way that all coaches have uniform passenger distribution and seats are filled starting from the m

Frustrated Employee...

A question was asked why employees don't confide to their management about their problems and frustrations? The best answer came from a really frustrated employee, "You cannot discuss your Malaria with the Mosquito!"

Two Friends in Bar...

First Peg 🥃 Bro, I am well settled in life, Good Package, Good Incentive, Good Company, Allowances for everything, fancy parties, only challenge is to find *Time* to enjoy with my Friends😊 . . . . 4th Peg - Bhai .. Kutta bana rakha hai Kutta...salo ne. 🤣🤣🤣