खुदा भी याद आता है ज़रूरत पे यहां सबको...
दरवाज़ों पे खाली तख्तियां अच्छी नहीं लगती, मुझे उजड़ी हुई ये बस्तियां अच्छी नहीं लगती, चलती तो समंदर का भी सीना चीर सकती थीं, यूँ साहिल पे ठहरी कश्तियां अच्छी नहीं लगती, खुद...
*** DOST HOTA NAHI HAR HATH MILANEY WALA *****