कभी रो कर समझौता कर लिया... तो कभी हंस कर ख्वाहिशों को मार गए... लोग समझते रहें, हमें कद्र नहीं रिश्तों की... और हम रिश्ते बचाते-बचाते ख़ुद से ही हार गए....
तू अपनी खूबियां ढूंढ .... कमियां निकालने के लिए लोग हैं | अगर रखना ही है कदम.... तो आगे रख , पीछे खींचने के लिए लोग हैं | सपने देखने ही है ..... तो ऊंचे देख , निचा दिखाने के लिए लोग हैं | अपने अं...
जो कह दिया वह शब्द थे ; जो नहीं कह सके वो अनुभूति थी ।। और, जो कहना है मगर ; कह नहीं सकते, वो मर्यादा है ।। जिंदगी का क्या है ? आ कर नहाया .... और, नहाकर चल दिए ।। बात पर गौर करना- ---- पत्तों सी होती है कई रिश्तों की उम्र, आज हरे-------! कल सूखे -------! क्यों न हम, जड़ों से; रिश्ते निभाना सीखें ।। रिश्तों को निभाने के लिए, कभी अंधा , कभी गूँगा , और कभी बहरा ; होना ही पड़ता है ।। बरसात गिरी और कानों में इतना कह गई कि---------! गर्मी हमेशा, किसी की भी नहीं रहती ।। नसीहत ,...
“रिश्ते जताने लोग मेरे घर भी आयेंगे फल आये हैं तो पेड़ पे पत्थर भी आयेंगे, जब चल पड़े हो सफ़र को तो फिर हौसला रखो सहरा कहीं, कहीं पे समंदर भी आयेंगे, कितना गुरुर था उसे अपनी उड़...
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