कभी रो कर समझौता कर लिया...

 कभी रो कर समझौता कर लिया...
तो कभी हंस कर ख्वाहिशों को मार गए...
लोग समझते रहें, हमें कद्र नहीं रिश्तों की...
और हम रिश्ते बचाते-बचाते ख़ुद से ही हार गए....

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