अहंकार की भाषा

 


हम सभी में अलग अलग खूबियां होती है इसलिए हमें अलग अलग बातों पर अहंकार होता है । 

यही वजह है कि अहंकार की भाषा अलग अलग है उसकी शब्दावली अलग अलग है , लेकिन खुद को न समझे जाने का दर्द हर किसी का एक जैसा ही होता है इसीलिए दर्द की एक ही भाषा है .. अगर हम किसी को कुछ नही समझा पा रहे है तो सम्भवतः हम अहंकार की भाषा बोल रहे हैं , अगर हम किसी को नही समझ पा रहे है तो संभवतः वो अहंकार की भाषा बोल रहा है । 

अगर हम अहंकार में है तो अपने अहंकार को दरकिनार कर शब्दों में अपने दर्द को जगह दीजिए । अगर वो अहंकार में है तो उसके अहंकार के पीछे छुपे उसके दर्द को महसूस कीजिए । इंसान का इंसान से जुड़े रहने का बस एक यही रास्ता है और दूसरा कोई रास्ता नही .

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