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Showing posts from May, 2019

Men Have Pains Too....

A woman said to me,  'It took me years to really know that men cry too.  I took my husband for a super human.  I see him leave the house everyday and come back providing for us.  One day as I have left the house and he was at home,  I remembered that I needed to take something along,  I turned back and headed home.  As I got home,  I tried going through the back  door which was closer to the window of our room.  I heard my husband crying like a baby asking God to help me get a job so I can help him fend for the family.  He has never complained to me before but that day,  I broke down in tears realizing that my husband has held much of his pains alone" A young married lady went to her mother and complained that her husband has not always bought  things she wanted from him. The mother asked her,  'How many of those things have you bought for yourself?". She stayed quiet and said,  'But he is my husband?".  The mother replied her,  'Have you ever found out

भूख लगे तो रोटी की जात नहीं पूछा करते - Salil Saroj

भूख लगे तो रोटी की जात नहीं पूछा करते .... पेट को लगेगी बुरी,ये बात नहीं पूछा करते .... ये धरती बिछौना ,ये आसमाँ है शामिआना.... बेघरों से बारहाँ दिन -रात नहीं पूछा करते .... मालूम है कि एक भी पूरी नहीं हो पाएगी.... बेटियों से उनके जज्बात नहीं पूछा करते .... क्यों बना है बेकसी का ये आलम कौम में.... सरकार से ऐसे सवालात नहीं पूछा करते .... जिन उँगलियों में कालिख लगा दी गई हो.... उनसे फिर कलम-दवात नहीं पूछा करते .... जो दोस्त चला गया कमाने, गांव छोड़ के.... कब होगी अब मुलाक़ात नहीं पूछा करते .... वो टूट जाएगा बताते बताते हाल अपना.... ऐसे इश्क़ की शुरुआत नहीं पूछा करते .... सलिल सरोज

रिश्ते नहीं छोड़ा करते - गुलज़ार की ग़ज़ल

हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते ... वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं तोड़ा करते ... जिस की आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन ... ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते .... शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा .... जाने वालों के लिये दिल नहीं थोड़ा करते .... लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो .... ऐसी दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते....

ख़याल जिस का था मुझे ख़याल में मिला मुझे - मुनीर नियाज़ी

ख़याल जिस का था मुझे ख़याल में मिला मुझे.... सवाल का जवाब भी सवाल में मिला मुझे... गया तो इस तरह गया कि मुद्दतों नहीं मिला... मिला जो फिर तो यूँ कि वो मलाल में मिला मुझे... तमाम इल्म ज़ीस्त का गुज़िश्तगाँ से ही हुआ... अमल गुज़िश्ता दौर का मिसाल में मिला मुझे... हर एक सख़्त वक़्त के बाद और वक़्त है... निशाँ कमाल-ए-फ़िक्र का ज़वाल में मिला मुझे... निहाल सब्ज़ रंग में जमाल जिस का है 'मुनीर'... किसी क़दीम ख़्वाब के मुहाल में मिला मुझे....

गुलज़ार: कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ ...

फूल ने टहनी से उड़ने की कोशिश की इक ताइर का दिल रखने की कोशिश की कल फिर चाँद का ख़ंजर घोंप के सीने में रात ने मेरी जाँ लेने की कोशिश की ..... कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की ..... कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की ...... एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है मैंने हर करवट सोने की कोशिश की ..... एक सितारा जल्दी जल्दी डूब गया मैं ने जब तारे गिनने की कोशिश की ..... नाम मिरा था और पता अपने घर का उस ने मुझ को ख़त लिखने की कोशिश की ..... एक धुएँ का मर्ग़ोला सा निकला है मिट्टी में जब दिल बोने की कोशिश की ......

Gulzar - पढ़िए उनकी लिखी हुई कुछ सबसे खूसबूरत शायरी.

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते... वक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते... जब भी ये दिल उदास होता है. जाने कौन आस-पास होता है. कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़... किसी की आंख में हम को भी इंतिज़ार दिखे .... ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में... एक पुराना ख़त खोला अनजाने में ... फिर वहीं लौट के जाना होगा ... यार ने कैसी रिहाई दी है ... सहमा सहमा डरा सा रहता है .... जाने क्यूं जी भरा सा रहता है   ...... 

हम वो आखरी पीढ़ी हैं .....

● हम वो आखरी पीढ़ी  हैं - जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है। ● हम वो आखरी लोग हैं - जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैं। ● हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं - जिन्होंने कम या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और नावेल पढ़े हैं। ● हम वही पीढ़ी के लोग हैं - जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात, खतों में आदान प्रदान किये हैं। ● हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं - जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही  बचपन गुज़ारा है। ● हम वो आखरी लोग हैं - जो अक्सर अपने छोटे बालों में, सरसों का ज्यादा तेल लगा कर, स्कूल और शादियों में जाया करते थे। ● हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं - जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी,  किताबें, कपडे और हाथ काले, नीले किये है। ● हम वो आखरी लोग हैं - जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है। ● हम वो आखरी लोग हैं - जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर,

मुख्य अतिथि ....

प्रस्तुत है वो कहानी जो मेरे अंतर्मन को छू गई - शहर के एक अन्तरराष्ट्रीय प्रसिद्धि के विद्यालय के बग़ीचे में तेज़ धूप और गर्मी की परवाह किये बिना, बड़ी लग्न से पेड़ - पौधों की काट छाँट में लगा था कि तभी विद्यालय के चपरासी की आवाज़ सुनाई दी, "गंगादास! तुझे प्रधानाचार्या जी तुरंत बुला रही हैं।" गंगादास को आख़िरी के पांँच शब्दों में काफ़ी तेज़ी महसूस हुई और उसे लगा कि कोई महत्त्वपूर्ण बात हुई है जिसकी वज़ह से प्रधानाचार्या जी ने उसे तुरंत ही बुलाया है।       शीघ्रता से उठा, अपने हाथों को धोकर साफ़ किया और चल दिया, द्रुत गति से प्रधानाचार्या के कार्यालय की ओर।        उसे प्रधानाचार्या महोदया के कार्यालय की दूरी मीलों की लग रही थी जो ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी। उसकी हृदयगति बढ़ गई थी।  सोच रहा था कि उससे क्या ग़लत हो गया जो आज उसको प्रधानाचार्या महोदया ने  तुरंत ही अपने कार्यालय में आने को कहा।       वह एक ईमानदार कर्मचारी था और अपने कार्य को पूरी निष्ठा से पूर्ण करता था। पता नहीं क्या ग़लती हो गयी। वह इसी चिंता के साथ प्रधानाचार्या के कार्यालय पहुँचा......        "म

चाय के शौकीनों के लिए ....

चाय एक शाकाहारी नशा है...तो क्यों न शराब को छोड़कर चाय को जज्बातों से जोड़ते हैं...कुछ चायरी आपके लिये तो अर्ज किया है... एक तेरा ख़्याल ही तो है मेरे पास... वरना कौन अकेले में बैठे कर चाय पीता है...!!! आज लफ्जों को मैने शाम की चाय पे बुलाया है... बन गयी बात तो ग़ज़ल भी हो सकती है...!!! ठान लिया था कि अब और नहीं पियेगें चाय उनके हाथ की... पर उन्हें देखा और लब बग़ावत कर बैठे...!!! मिलो कभी चाय पर फिर क़िस्से बुनेंगे... तुम ख़ामोशी से कहना हम चुपके से सुनेंगे...!!! चाय के कप से उड़ते धुंए में मुझे तेरी शक़्ल नज़र आती है... तेरे इन्ही ख़यालों में खोकर, मेरी चाय अक्सर ठंडी हो जाती है...!!! हलके में मत लेना तुम सावले रंग को... दूध से कहीं ज्यादा देखे है मैंने शौक़ीन चाय के...!!! चाय के शौकीनों के लिए

An Eye OPENER..!

कल दिल्ली से गोवा  की उड़ान में एक सरदारजी मिले। साथ में उनकी पत्नि भी थीं। सरदारजी की उम्र करीब 80 साल रही होगी। मैंने पूछा नहीं लेकिन सरदारनी भी 75 पार ही रही होंगी। उम्र के सहज प्रभाव को छोड़ दें, तो दोनों करीब करीब फिट थे। सरदारनी खिड़की की ओर बैठी थीं, सरदारजी बीच में और मै सबसे किनारे वाली सीट पर था। उड़ान भरने के साथ ही सरदारनी ने कुछ खाने का सामान निकाला और सरदारजी की ओर किया। सरदार जी कांपते हाथों से धीरे-धीरे खाने लगे। फिर फ्लाइट में जब भोजन सर्व होना शुरू हुआ तो उन लोगों ने राजमा-चावल का ऑर्डर किया। दोनों बहुत आराम से राजमा-चावल खाते रहे। मैंने पता नहीं क्यों पास्ता ऑर्डर कर दिया था। खैर, मेरे साथ अक्सर ऐसा होता है कि मैं जो ऑर्डर करता हूं, मुझे लगता है कि सामने वाले ने मुझसे बेहतर ऑर्डर किया है। अब बारी थी कोल्ड ड्रिंक की। पीने में मैंने कोक का ऑर्डर दिया था। अपने कैन के ढक्कन को मैंने खोला और धीरे-धीरे पीने लगा। सरदार जी ने कोई जूस लिया था। खाना खाने के बाद जब उन्होंने जूस की बोतल के ढक्कन को खोलना शुरू किया तो ढक्कन खुले ही नहीं। सरदारजी कांपते हाथों से उ

Give your cell some rest....

Give your cell some rest.... A guy gets out of lift on 7th floor instead of 4th floor. He says- "I was so busy checking messages on my whatsapp...without realising, I went into the neighbour's house and sat on their sofa" .  The  lady of the house was glued to the TV... watching serials...She gave me tea without looking at me. When I started drinking tea, I looked up and saw the lady's husband entering the house....looking into his mobile.  He saw me and said, "sorry" and went out of  his own house !!! 😂😂😂😂😂

जिंदगी में समस्या होती ही नहीं ...

एक राजा ने एक सुंदर सा महल बनाया और महल के  मुख्य द्वार पर एक गणित का सूत्र  लिखवाया और घोषणा की, कि इस सूत्र से यह द्वार खुल जाएगा और जो भी सूत्र को हल करके द्वार खोलेगा मैं उसे अपना उत्तराधीकारी घोषित कर दूंगा। राज्य के बड़े बड़े गणितज्ञ आये और सूत्र देखकर लोट गए, किसी को कुछ समझ नहीं आया, आख़री तारीख आ चुकी, उस दिन 3 लोग आये और कहने लगे हम इस सूत्र को हल कर देंगे, उसमें  2 तो दूसरे राज्य के बड़े गणितज्ञ थे जो अपने साथ बहुत सी गणित के सूत्रो की किताबों सहित आये थे, लेकिन एक व्यक्ति जो साधक की तरह नजर आ रहा था, वह कुछ भी साथ नहीं लाया था, उसने कहा मैं बैठा हूँ, यहीं पास में ध्यान कर रहा हूँ, अगर पहले ये दोनों महाशय कोशिश करके द्वार खोल दें तो मुझे कोई परेशानी नहीं, पहले इन्हें मौका दिया जाए, दोनों गहराई से सूत्र हल करने में लग गए ••• लेकिन नहीं कर पाये और हार मान ली। अंत में उस साधक को ध्यान से जगाया गया और कहा गया कि आप सूत्र हल करिये ऑप का समय शुरू हो चुका है ••• साधक ने आँख खोली और सहज मुस्कान के साथ द्वार की और चला, द्वार को धकेला ••• और यह क्या द्वार खुल गया। राजा ने साधक से पूछा

मैंने अपने पिताजी से सीखा ....

मैंने अपने पिताजी से सीखा ..... जैसे जैसे मेरी उम्र में वृद्धि होती गई, मुझे समझ आती गई कि अगर मैं Rs. 300 की घड़ी पहनूं या Rs. 30000 की, दोनों समय एक जैसा ही बताएंगी। मेरे पास Rs. 300 का बैग हो या Rs. 30000 का, इसके अंदर के सामान में कोई परिवर्तन नहीं होंगा। मैं 300 गज के मकान में रहूं या 3000 गज के मकान में, तन्हाई का एहसास एक जैसा ही होगा। आख़िर में मुझे यह भी पता चला कि यदि मैं बिजनेस क्लास में यात्रा करूं या इक्नामी क्लास में, अपनी मंजिल पर उसी नियत समय पर ही पहुँचूँगा। इसीलिए, अपने बच्चों को बहुत ज्यादा अमीर होने के लिए प्रोत्साहित मत करो बल्कि उन्हें यह सिखाओ कि वे खुश कैसे रह सकते हैं और जब बड़े हों, तो चीजों के महत्व को देखें, उसकी कीमत को नहीं। फ्रांस के एक वाणिज्य मंत्री का कहना था:-- - ब्रांडेड चीजें व्यापारिक दुनिया का सबसे बड़ा झूठ होती हैं, जिनका असल उद्देश्य तो अमीरों की जेब से पैसा निकालना होता है, लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग लोग इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं। क्या यह आवश्यक है कि मैं Iphone लेकर चलूं फिरू, ताकि लोग मुझे बुद्धिमान और

इतना Sweet Love Letter" कभी नई पढ़ा होगा"....

धांसू लव लेटर... इतना Sweet Love Letter" कभी नई पढ़ा होगा"....😍".... ..... वेलेंटाइन पर मंगरु का लिखा खत"...😘".... मेरी करेजा"...💋 वेलेंटाइन बाबा के कसम ई लभ लेटर मैं डेहरी पर चढ़कर लिख रहा हूँ... डीह बाबा काली माई के कसम आज तीन दिन से मोबाइल में टावरे नहीं पकड़ रहा था... ए करेजा".. रिसियाना मत... मोहब्बत के दुश्मन खाली हमरे तुम्हरे बाउजी ही नहीं हैं".... यूनिनार औ एयरसेल वालें भी हैं"...😞".... जब फोनवा नहीं मिलता है तो मनवा करता है कि गढ़ही में कूद कर जान दे दें.... अरे इन सबको आशिक़ों के दुःख का क्या पता रे"..😒..? हम चार किलो चावल बेच के नाइट फ्री वाला पैक डलवाये थे... लेकिन हाय रे नेटवर्क"....कभी कभी तो मन करता है"... की चार बीघा खेत बेचकर दुआर पर एक टावर लगवा लें".... आ रात भर तुमसे बतियावें"....😊 तुमको पता है जब जब सरसो का खेत देखता हूँ न तब तब तुम्हाई बहुते याद आवत है".... लगता है तुम हंसते हुए दौड़कर मेरे पास आ रही हो....मन करता है ये सरसों का फूल तोड़कर तुम्हारे जूड़े में लगा दूँ

क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है ?

एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से विडियो चैट करते वक्त पूछ बैठी- "बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या नहीं?" बेटा बोला- "माँ, मैं एक जीव वैज्ञानिक हूँ। मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूँ। विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन.. क्या आपने उसके बारे में सुना भी है?" उसकी माँ मुस्कुराई.....और बोली.....   "मैं डार्विन के बारे में जानती हूँ बेटा.. उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में सनातन-धर्म के लिए बहुत पुरानी खबर है।" “हो सकता है माँ!” बेटे ने भी व्यंग्यपूर्वक कहा। “यदि तुम कुछ समझदार हो, तो इसे सुनो..” उसकी माँ ने प्रतिकार किया।   “क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है? विष्णु के दस अवतार ?”   बेटे ने सहमति में कहा... "हाँ! पर दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना?" माँ फिर बोली- "लेना-देना है.. मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम और मि. डार्विन क्या नहीं जानते हो ?" “पहला अवतार था 'मत्स्य', यानि मछली ।    ऐसा इसलिए कि .... जीवन पानी मे