रिश्ते नहीं छोड़ा करते - गुलज़ार की ग़ज़ल

हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते ...
वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं तोड़ा करते ...

जिस की आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन ...
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते ....

शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा ....
जाने वालों के लिये दिल नहीं थोड़ा करते ....

लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो ....
ऐसी दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते....

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