पांच सौ तेरे औऱ पांच सौ मेरे..


 

" पांच सौ तेरे औऱ पांच सौ मेरे.....सिर्फ़ दस लीटर की ही तो बात है मेरे भाई.... तेरे मालिक को कुछ भी पता नहीं चलेगा "......मुन्ना ने राजू के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए उसे समझाना चाहा ।

दरअसल राजू एक बड़े साहब का ड्राइवर था औऱ वो गाड़ी की सर्विसिंग कराने मुन्ना के गैरेज में आया हुआ था ।

मुन्ना उससे बार बार गाड़ी से पेट्रोल निकाल कर बेचने के लिए कह रहा था ।

" अबे साले तेरी पगार ही कितनी है ? क्यों इतना ज़्यादा सोच रहा है ? मेरी बात सुन, फ़ायदे में रहेगा "...मुन्ना ने फ़िर राजू को समझाना चाहा ।

राजू सोच में पड़ गया ।

" बात तो तू सही ही बोल रहा है मेरे भाई , इस पांच सौ रुपए में तो मैं शाम को अपनी गुड़िया का जन्मदिन भी मना सकता हूँ......केक औऱ मिटाई के पैसे तो एक झटके में आ ही जाएंगे ".......चिंतित मुद्रा में राजू बोला ।

सुन मेरी बात , तुझसे पहले इस धन पशु साहब के जितने भी ड्राइवर थे, वे महीने में बीस तीस लीटर पेट्रोल तो ऐसे ही हवा कर देते थे । तू बेकार में ज़्यादा मत सोच ........मुन्ना ने फ़िर अपनी बात बढ़ाई ।

अबे तू जानता नहीं है ,इतने मोटे साहब लोगों को इन सब चीज़ों से कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता है .......मुन्ना फ़िर बोला ।

मुन्ना की बातों को लगातार सुनते हुए राजू चुपचाप था , बिल्कुल ख़ामोश । लेकिन शायद वो किसी गहन चिंतन में था ।

उसके बाद राजू ने मुन्ना से कहा.....हाँ यार, तेरी बात में दम है औऱ इसमें हम दोनों का ही फ़ायदा है । साला ,ये साहब बहुत खड़ूस है औऱ मैडम भी रोज़ रोज़ डाँटती रहती है औऱ उसकी नकचढ़ी बेटी के बारे में तेरे को क्या बताऊँ......बस जरा सा देर होने पर चिल्लाने लगती है ।.....सब के सब पागलों के जमात हैं यार ,

लेकिन................

अब लेकिन वेकिन क्या बे........साला बेवकूफ है तू ,अब क्या सोच रहा है ?? यही मौका है बहती गंगा में हाथ धोने का.......मुन्ना ने फ़िर राजू को क्रोध में कहा ।

अब राजू ने उससे कहा.........यार, जब मैं एक बार ये सोचता हूँ कि साहब भले ही बड़ा खड़ूस है, लेकिन उसने पक्का एक साल करोना के वक़्त जब पूरी दुनिया थम सी गई थी, मुझें घर बैठे बैठे पगार दी , नहीं तो हम भूखे मर जाते । मैडम भले मुझें रोज डांटती है ,लेकिन एक बार जब मेरी गुड़िया बीमार होकर हॉस्पिटल में भर्ती थी तो वो वहाँ दौड़ी चली आई थी औऱ उसने मेरी पत्नी के हाथों में बीस हजार रुपये थमाते हुए कहा था......तू बिलकुल चिंता मत कर ,हम हैं न ,तेरी गुड़िया को कुछ नहीं होने देंगे ।औऱ तो औऱ साहब की बेटी तो ये बोल बोल कर मेरा माथा ख़राब कर देती है कि राजू कुछ ही महीनों बाद मेरी शादी है.....तू मेरा भाई बनकर आएगा न मेरे ससुराल.........!!

इतना सुनने के बाद मुन्ना लगातार राजू का मुंह ताकने लगा ।

राजू ने बिना कुछ बोले गाड़ी स्टार्ट की औऱ वहाँ से निकल गया ।

..........

कोई भी ख़रीद ले
हम बिकने को तैयार नहीं
हाँ...हम तेरे शहर का अखबार नहीं...!!

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