चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...

चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...✍🏻

जब कोई पूछता है "चाय पियेंगे"
तो बस नहीं पूछता वो तुमसे
दूध, चीनी और चायपत्ती
को उबालकर बनी हुई 
एक कप चाय के लिए।✍🏻

वो पूछता हैं...
क्या आप बांटना चाहेंगे
कुछ चीनी सी मीठी यादें
कुछ चायपत्ती सी कड़वी
दुःख भरी बातें..!✍🏻

वो पूछता है..
क्या आप चाहेंगे
बाँटना मुझसे अपने कुछ
अनुभव, मुझसे कुछ आशाएं
कुछ नयी उम्मीदें..?✍🏻

उस एक प्याली चाय के
साथ वो बाँटना चाहता है
अपनी जिंदगी के वो पल
तुमसे जो अनकही है अबतक
दास्ताँ जो अनसुनी है अबतक✍🏻

वो कहना चाहता है..
तुमसे तमाम किस्से
जो सुना नहीं पाया 
अपनों को कभी..✍🏻

एक प्याली चाय
के साथ को अपने उन टूटे
और खत्म हुए ख्वाबों को
एक बार और 
जी लेना चाहता है।✍🏻

वो उस गर्म चाय की प्याली 
के साथ उठते हुए धुओँ के साथ
कुछ पल को अपनी
सारी फ़िक्र उड़ा देना चाहता है ✍🏻

इस दो कप चाय के साथ 
शायद इतनी बातें
दो अजनबी कर लेते हैं
जितनी तो
अपनों के बीच भी नहीं हो पाती।✍🏻

तो बस जब पूछे कोई
अगली बार तुमसे
 "चाय पियेंगे..?" ✍🏻

तो हाँ कहकर 
बाँट लेना उसके साथ
अपनी चीनी सी मीठी यादें
और चायपत्ती सी कड़वी 
दुखभरी  बातें..!!✍🏻

चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...!

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