जो कह दिया वह शब्द थे...

जो कह दिया वह शब्द थे ;
      जो नहीं कह सके 
             वो अनुभूति थी ।।
और, 
     जो कहना है मगर ;
           कह नहीं सकते, 
                  वो मर्यादा है ।।

जिंदगी का क्या है ?
            आ कर नहाया.... 
                     और, 
           नहाकर चल दिए ।।

बात पर गौर करना- ----

पत्तों सी होती है 
        कई रिश्तों की उम्र, 
आज हरे-------!
कल सूखे -------!

क्यों न हम, जड़ों से; 
रिश्ते निभाना सीखें ।।

रिश्तों को निभाने के लिए, 
कभी अंधा, कभी गूँगा,
    और कभी बहरा ;
            होना ही पड़ता है ।।

बरसात गिरी और कानों में इतना कह गई कि---------!
गर्मी हमेशा, किसी की भी नहीं रहती ।।

नसीहत
             नर्म लहजे में ही अच्छी लगती है ।
क्योंकि, 
दस्तक का मकसद,
    दरवाजा खुलवाना होता है; 
                         तोड़ना नहीं ।।

घमंड-----------! 
किसी का भी नहीं रहा, 
टूटने से पहले,
गुल्लक को भी लगता है कि ;
सारे पैसे उसी के हैं ।

जिस बात पर , कोई मुस्कुरा दे;
बात --------!
बस वही खूबसूरत है ।।

थमती नहीं, जिंदगी कभी, किसी के बिना ।।
मगर, 
यह गुजरती भी नहीं, अपनों के बिना ।।

🙏🏻🌹🌹🙏🏻

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