अर्धागिंनी....



             

"रामलाल..!!
तुम अपनी बीबी से.. इतना क्यों डरते हो..??"
मैने अपने.. नौकर से पूछा।।

"मै डरता नहीं, मैडम..!!
 उसकी कद्र करता हूँ, उसका सम्मान करता हूँ। "उसने जबाव दिया।

मैं हँसी और बोल:- "ऐसा क्या है उसमें, ना शक्ल सूरत, ना पढ़ी लिखी।"

जबाब मिला :--"कोई फर्क नहीं पड़ता मैडम.. कि.. वो कैसी है पर.. मुझे सबसे प्यारा रिश्ता.. उसीका लगता है।"

"जोरू का गुलाम।"
मेरे मुँह से.. निकला।"
और सारे रिश्ते कोई मायने नहीं रखते तेरे लिये.."मैंने पूछा।

उसने बहुत इत्मिनान से जबाब दिया..
"मैडम जी..!! माँ बाप रिश्तेदार नहीं होते, वो.. भगवान होते हैं। उनसे रिश्ता नहीं निभाते, उनकी पूजा करते हैं।
भाई बहन के रिश्ते.. जन्मजात होते हैं, दोस्ती का रिश्ता भी.. ज्यादातर मतलब का.. ही होता है।
आपका मेरा रिश्ता भी.. जरूरत और पैसे का है।
 पर..,
पत्नी बिना किसी.. करीबी रिश्ते के होते हुए भी.. हमेशा के लिये हमारी हो जाती है। अपने सारे रिश्ते को.. पीछे छोड़कर, और हमारे हर सुख-दुख की सहभागी बन जाती है, वो भी.. आखिरी साँसों तक।"

अब मैं.. अचरज से उसकी बातें सुन रही थी..!!

वह आगे बोला-"मैडम जी, पत्नी अकेला रिश्ता नहीं है, बल्कि वो.. पूरे रिश्तों की भण्डार है..
जब वो.. हमारी सेवा करती है हमारी देख भाल करती है, हमसे दुलार करती है तो एक.. माँ जैसी होती है। जब वो.. हमें जमाने के उतार-चढ़ाव से आगाह करती है, और मैं.. अपनी सारी कमाई उसके हाथ पर रख देता हूँ क्योंकि जानता हूँ वह हर हाल में मेरे घर का भला करेगी तब.. पिता जैसी होती है।
जब वो.. हमारा ख्याल रखती है, हमसे लाड़ करती है, हमारी गलती पर डाँटती है, हमारे लिये.. खरीदारी करती है तब.. बहिन जैसी होती है। जब हमसे नयी-नयी फरमाईश करती है, नखरे करती है, रूठती है, अपनी बात मनवाने की जिद करती है तब.. बेटी जैसी होती है।
जब हमसे सलाह करती है मशवरा देती है,परिवार चलाने के लिये.. नसीहतें देती है, झगड़े करती है तब एक.. दोस्त जैसी होती है।
जब वह सारे घर का लेन-देन, खरीददारी, घर चलाने की.. जिम्मेदारी उठाती है तो एक.. मालकिन जैसी होती है।
और जब वही सारी दुनिया को.. यहाँ तक कि अपने बच्चों को भी.. छोड़कर हमारी बाहों में.. आती है, तब वह..
 पत्नी, प्रेमिका, प्रेयसी, अर्धांगिनी, हमारी प्राण और.. आत्मा होती है जो.. अपना सब कुछ सिर्फ हम पर.. न्यौछावर करती है।"
इसलिए..
मैं.. उसकी इज्जत करता हूँ..!! तो क्या गलत करता हूँ मैडम जी..??"

मैं उसकी बात सुनकर.. अवाक रह गयी।

एक अनपढ़ और.. सीमित साधनों में.. जीवन निर्वाह करनेवाले से.. जीवन का यह फलसफा सुनकर.. मुझे एक नया अनुभव हुआ।

आपको कैसा अनुभव हुआ..??

   🌹🌿राधे राधे🌿🌹

Comments

Popular posts from this blog

तू अपनी खूबियां ढूंढ .... कमियां निकालने के लिए लोग हैं |

जो कह दिया वह शब्द थे...

ख़याल जिस का था मुझे ख़याल में मिला मुझे - मुनीर नियाज़ी