छोले पूड़ी सी नमकीन हलवे सी मीठी यादें...

 

"तेरे पास कितने रुपये इकठ्ठे हुए"
"19"
हैं?????? 😲
"तो मेरे पास 18 कैसे हैं".... 😧
कौनसी आंटी ने नहीं बुलाया मुझे????

मन में ये सवाल पूरा दिन खनकता था उन सिक्कों की तरह...

50 पैसे, 1 रुपैया और किस्मत रईस होती तो वो 2 रुपए का गुलाबी सा नोट...

अगर नई नवेली गड्डी में से कड़कता नोट मिल जाता तो ख़ुशी युँ होती जैसे 100 रुपये का सौदा कर लाएंगे इससे....और कहीं लाल सुनहरी चुन्नी, प्लेट, मिल जाती तो हम देवी की तरह पूजी जाने कंजिकाओं को वो आंटी खुद "देवी" से कम न लगती थी... 👣🙏
सिक्कों का ये हिसाब किताब सुलझता नहीं कि कहीं से आवाज़ आ जाती आओ "कन्या " जल्दी आ जाओ.. और मन में एक और सिक्का बढ़ जाने की ख़ुशी फिर से पंख फैला लेती... 😄

पेट चने पूड़ी हलवे से ऐसा भरा हुआ के एक चना भी खाया तो पेट फूट जाए और न खायें तो रुपैया छूट जाए... 😉

"आंटी हम दोनों एक में ही खा लेंगे" कह कर दिल और पेट का वजन एडजस्ट करने की कोशिश कर लेते थे.... 😉

वो दो दिन बस हमारे होते थे "सिर्फ हमारे"
आज सिक्के बड़े नोट और गिफ्ट बन गए पर "कंजक और कंजिकाओं का मन" अब भी वही है 😃

वक़्त कितना गुजर गया
 वो पहले जैसा बचपन का त्यौहार अब क्यों नही लौटकर आता

🙏जय माता दी. 🙏

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