मर्द - ऐसे नहीं है

 


 
दुनिया के तमाम कहानीकारो ने एक गलती कर दी, औरत को और खूबसूरत बनाने के लिए तमाम लोगों ने अपनी कहानी में मर्द को कठोर और संवेदनहीन बना दिया

लेकिन असल में मर्द ऐसे नहीं है ये मर्द समय के हिसाब से अवस्था बदलते है
 
ये मर्द बचपन में हरे घास के दूब जैसे होते हैं जो बस हवाओं के साथ मुस्कुराना जानते है , इन्हे उड़ जाना होता है वादियो में,इनके मन में एक औरत बसी होती है, असल में मर्द का सबसे सुंदर स्वरूप उसका औरत हो जाना ही है जो एक बच्ची की तरह खिलखिलाना चाहते हैं तितलियों की तरह उड़ जाना चाहते है,लेकिन जब यह मर्द... मर्द और औरत की दुनिया में चलना सीखते हैं तो उन्हें महज 5 की उम्र में ही सिखा दिया जाता है कि तुम मर्द हो बे और तुम रो नहीं सकते, रोना तो औरतों का काम है ,लेकिन पंगा तो यार ये है कि दिल तो हम मर्दों के पास भी होता है दर्द तो हम मर्दों को भी होता है बे ... घास के दूब जैसे हम मर्द अकेले में बहुत रोते हैं लेकिन भीड़ ने कभी नहीं रोते।

छोटी बहनों को उंगली पकड़ के चलना सिखाने वाले यह मर्द, इनको पता ही नहीं चलता है कि ये कब एक पिता का रूप धारण कर लेते हैं, छोटे भाई बहनों के लिए एक आदर्श बन जाते है, ये मर्द हमेशा सबसे अपने भाई बहनों की खुशी के लिए पूरे दुनिया से लड़ जाया करते हैं.. अपनी साइकिल अपना बल्ला अपना खिलौना हमेशा अपने से छोटे भाई बहन की खुशी के लिए उन्हें दे देने वाले हैं मर्द, महज 15 की उम्र में ही बाप बन जाते हैं।

17 की उम्र तक आते-आते यह मर्द जिंदगी को जिंदगी बनाने के लिए अपनी ही जिंदगी (अपने घर से ही) बहुत दूर हो जाया करते हैं.... अचानक से गली मोहल्ले में निक्कर पहन कर बल्ला उठाने वाले लड़के बड़े-बड़े शहरों में किताबों के तले दब जाते हैं आपको एक टॉप सीक्रेट बताता हूं यह मर्द जो होते हैं ना यह सबसे ज्यादा दवे और कुचले हुए समाज से नौकरी ना होने की वजह से निष्कासित हुए होते हैं... इस बात का मुझे एहसास तब होता है जब मर्दों को नौकरी के लिए इन्हें लंबी लाइनों में देखता हूं जब बाप का फोन आने के बाद शर्म से सर झुका लिया करते हैं कि इस बार भी इनकी नौकरी ना लग पाई इस बार इन का एग्जाम ना निकल पाया तब ये मर्द बंद कमरे में चीख चीख कर रोते हैं लेकिन भीड़ में फिर से यह हंसते हुए भीड़ का सामना करने के लिए निकल जाया करते हैं।

नौकरी के बाद शादी हो जाने तक के इस सफर में वह ना जाने कितने रिश्ते निभा दिया करते हैं कभी एक प्रेमी के रूप में अपनी प्रेमिका के लिए, तो कभी एक भाई के रूप में अपनी बहन के लिए, औरतें बेहद खूबसूरत होती हैं नाजुक होती है कोमल होती हैं लेकिन इन्हीं औरतों को और खूबसूरत बनाने के लिए अपने हाथों को और माथे को हम मर्द पसीने से भर दिया करते हैं लेकिन फिर भी इतिहासकारों ने हमे कठोर कहा निर्दई कहा हम फिर भी मुस्कुराते हैं हंसते हैं 1 साल के बच्चे को गोद में लेकर सिर्फ पापा सुन संतुष्ट हो जाते हैं और मात्र 23 साल की उमर  में इस पिता शब्द के लिए एक पिता बन कर दुनिया से लड़ जाते हैं
यह मर्द ही होते हैं जो रोते नहीं हैं लेकिन फिर भी बहुत रोते हैं।....

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