कर्म का फल...
एक राजा के दरबार मे कर्म के ऊपर बहस छिड़ी हुई थी !
कोई कहता कर्म का फल ऊपर वाले पर छोड़ दीजिए तो
कोई कहता मरने के बाद जीव का क्या होता है आजतक किसी को कुछ पता नहीं !
तो कोई कहता कर्म का फल सबको इसी जन्म में मिलता है ! राजा ने निर्णय लिया कि इसे प्रत्यक्ष व्यवहार में लाकर परिणाम देखा जाए !
राजा ने अपने तीन मन्त्रियो को दरबार में बुलाया और तीनो को आदेश दिया के एक - एक थैला ले कर बगीचे में जाएं और वहां से अच्छे से अच्छे और बढ़िया से बढ़िया फल जमा कर लाएं !
वो तीनो अलग - अलग बाग़ में प्रविष्ट हो गए ! पहले मन्त्री ने कोशिश की राजा के लिए उसकी पसंद के अच्छे -अच्छे और मज़ेदार फल जमा किए जाएं उस ने काफी मेहनत के बाद बढ़िया और ताज़ा फलों से थैला भर लिया !
दूसरे मन्त्री ने सोचा कि राजा हर फल का परीक्षण तो करेगा नहीं इस लिए उसने जल्दी -जल्दी थैला भरने में ताज़ा , कच्चे , गले सड़े फल भी थैले में भर लिए !
तीसरे मन्त्री ने सोचा राजा की नज़र तो सिर्फ भरे हुए थैले की तरफ होगी वो खोल कर देखेगा भी नहीं कि इसमें क्या है ? उसने समय बचाने के लिए जल्दी - जल्दी इसमें घास , और पत्ते भर लिए और वक़्त बचाया !दूसरे दिन राजा ने तीनों मन्त्रियो को उनके थैलों समेत दरबार में बुलाया और उनके थैले खोल कर भी नही देखे और आदेश दिया कि इन तीनों को उनके थैलों समेत दूर स्थान के एक जेल में 15 दिन के लिए एकांतवास में रखा जाए !
अब जेल में उनके पास खाने - पीने को कुछ भी नहीं था सिवाए उन फल से भरे थैलों के तो जिस मन्त्री ने अच्छे - अच्छे फल जमा किये वो तो मज़े से उनको खाता रहा और 15 दिन गुज़र भी गए !
फिर दूसरा मन्त्री जिसने ताज़ा , कच्चे गले सड़े फल जमा किये थे वह कुछ दिन तो ताज़ा फल खाता रहा फिर उसे ख़राब फल खाने पड़े ! जिस से वो बीमार होगया और बहुत तकलीफ उठानी पड़ी !
और ... तीसरा मन्त्री जिसने अपने थैले में सिर्फ घास और पत्ते जमा किये थे वो कुछ ही दिनों में भूख से व्याकुल हो गया !
राजा ने सबको देखने के लिए गुप्तरुप से एक संतरी रखा हुआ था ! बचा तो सबको लिया गया मगर उन्हें अपने कर्म का फल समझ मे आ गया ! अब आप अपने आप से पूछिये कि आप क्या जमा कर रहे हो ?
आप इस समय जीवन के बाग़ में हैं जहां चाहें तो अच्छे कर्म जमा करें और चाहें तो बुरे कर्म मगर याद रहे जो आप जमा करेंगे वही आपको जन्मों-जन्मों तक काम आएगा !
जीवन का एक रहस्य... रास्ते पर गति की सीमा है ! बैंक में पैसों की सीमा है ! परीक्षा में समय की सीमा है परंतु हमारी सोच (विचार शक्ति) की कोई सीमा नहीं है इसलिए सदा श्रेष्ठ सोचें ,श्रेष्ठ करें एवं श्रेष्ठ बोलें तब श्रेष्ठ पाएं !
नियत तेरी अच्छी है तो किस्मत तेरी दासी है और कर्म तेरे यदि अच्छे हैं तो घर ही में मथुरा - काशी है !
मिटाने से मिटता नहीं कभी कर्म का ये लेख
कर्म तू अच्छा कर फिर ईश्वर की महिमा देख !!
जय श्री राम
🙏🌹🙏
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