तर्क करना एक कमजोरी है...

 


तर्क करना एक कमजोरी है । और तर्क सहना सामर्थ्य है । तर्क जन्म ही वहाँ से लेते हैं... जहाँ हम अपने आपको दूसरों से श्रेष्ठ समझने की भूल कर बैठते हैं । तर्क का अर्थ है.. दूसरों के सत्य को स्वीकार ना कर पाने की कमजोरी ।

           तर्कवादी का अर्थ ज्ञानी नहीं... अपितु वो है जिसके अंदर दूसरों के ज्ञान के प्रति सम्मान नहीं ।  दूसरे के बातों और विचारों का अपनी वुद्धि के स्तर से अर्थ निकालना ही तर्कवादी का लक्षण है । तर्क से रिश्तों में फर्क आ जाता है... और ज्यादा तर्क नर्क की ओर जाने का भी कारण बन जाता है ।

     भगवान महावीर कहते हैं... कि अनेकांत में जीना सीख लो, आपके सारे तर्क स्वतः ही समाप्त हो जायेंगे । माना कि अन्धकार के बाद प्रकाश अवश्य होता है । मगर केवल उनके लिए जिनके पास दृष्टि है, और आँखे हैं ।।



    

      इत़्र से कपड़ों को
             म़हक़ाना बड़ी बात
             नही, मज़ा तो तब है
             जब ख़ुशब़ू आपके
             क़िरदार से आए...!

       दर्पण जब चेहरे का
             दाग़ दिखाता है,
             तब हम दर्पण नही
             तोड़ते बल्कि दाग़
             साफ़ करते हैं ।
             उसी प्रकार हमारी
             कमीं बताने वाले पर
             क्रोध करने के बजाय
             अपनी कमीं को दूर
             करना श्रेष्ठ है.....!

       मन खुश है तो एक
             बूँद भी बरसात है,
             दुखी मन के आगे
             समंदर की भी क्या
             औक़ात है........!
   
       बुझी हुई शमां फिर
             से जल सकती है,
             तूफ़ानों में घिरी
             क़श्ती किनारे पर
             आ सकती है,
             मायूस ना होना
             कभी ज़िंदगी में,
             ये क़िस्मत है...
             कभी भी बदल
             सकती है......!

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