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Showing posts from 2021

मर्द इसे कहते हैं.........

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  किसी ने ...मेरे ऊपर हँसकर कहा बीबी के लिए इतना करेगा तो जोरू का गुलाम बन जायगा .....अगर उसके आगे हर बार झुका तो मर्द के नाम पर दाग लग जायगा जब  तुझसे अपनी  औरत ही बस में नहीं हो सके तो तू  क्या मर्द बन पाएगा ..... मैं छोटे शब्दो में छोटा जवाब दे गया .......मैं  उसकी गलतियों पर  मारकर मर्द ना  बन पाउ पर उसको प्यार से  समझाकर उसका दोस्त बन जाउंगा ........ उसकी खुशी के लिये हर बार झुक जाऊगा तो मर्द नहीं उसका प्यार बन जाउंगा ........ उसकी हर बातो को बड़े प्यार से सुन जाऊ तो मर्द नहीं अपने पन का एहसास उसको हमेशा  दिलाऊंगा .......उसके हर दुःख हर तकलीफ में उसके साथ खड़ा हो जाऊगा तो मर्द नहीं  उसका पति बन जाउंगा .....  उसके हर एहसास हर जज्बातो को दिल से समझ जाऊ तो उसको हमेशा  अपना बनाऊँगा  .....मर्द बनू   या ना बनू पर उसकी जिंदगी खुशीयो से भर जाये ऐसा उनका हम सफर बन जाउंगा ......,. लक्ष्मी कहते है  घर की ओरतो को तो उनको लक्ष्मी अपने घर  की  बनाऊगा उसका भी हक होगा मुझ पर ऐसा उसको एहसास दिलाऊंगा .......उसको मारकर मैं  अपनी लक्ष्मी को कैसे रुसवा कर पाउंगा  .....कभी सुना है की भगवान  को कोई मारता

प्यास का प्रेम या प्रेम की प्यास

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  पुरुष ने किसी रात गहरी नींद सोई स्त्री के कानों को छुआ होठों को चूमा स्त्री ने कहा"सोने दो न" और उसने आगोश फैला दिया आलिंगन में कस लिया पुरूष को पुरुष ने मन भर पीया स्त्री को और करवट बदल कर सो गया ऐसी ही किसी रात स्त्री ने नींद में कसमसाते पुरूष के कान छुए बालों में हाथ फिराया पुरूष ने हाथ झटक दिया बड़बड़ाया, "सोने दो यार" और पीठ करके सो गया स्त्री ने मन की करवट बदली सो गई पुरुष के पास प्यास का प्रेम था और नदी भर स्त्री थी स्त्री के पास  प्रेम की प्यास थी और बहते-बहते सूख जाना नियति में लिखा था. . .

दुकान पर एक स्लोगन पढा़ ..

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  कल सैलून वाले क़ी दुकान पर एक स्लोगन पढा़ .. "हम दिल का बोझ तो नहीं पर सिर का बोझ जरूर हल्का कर सकते हैं "..🤣 लाइट क़ी दुकान वाले ने बोर्ड के नीचे लिखवाया .. "आपके दिमाग की बत्ती भले ही जले या ना जले,परंतु हमारा बल्ब ज़रूर जलेगा ".. 🤣 चाय के होटल वाले ने काउंटर पर लिखवाया .. "मैं भले ही साधारण हूँ, पर चाय स्पेशल बनाता हूँ।" 🤣 एक रेस्टोरेंट ने सबसे अलग स्लोगन लिखवाया .. "यहाँ घऱ जैसा खाना नहीं मिलता, आप निश्चिंत होकर अंदर पधारें।" 😀 इलेक्ट्रॉनिक दुकान पर स्लोगन पढ़ा तो मैं भाव विभोर हो गया .. "अगर आपका कोई फैन नहीं है तो यहाँ से ले जाइए ".. 😂 गोलगप्पे के ठेले पर एक स्लोगन लिखा था .. "गोलगप्पे खाने के लिए दिल बड़ा हो ना हो, मुँह बड़ा रखें, पूरा खोलें" ..🤣 फल भंडार वाले ने तो स्लोगन लिखने की हद ही कर दी .. "आप तो बस कर्म करिए, फल हम दे देंगे ".. 🤣 घड़ी वाले ने एक ग़ज़ब स्लोगन लिखा ..? "भागते हुए समय को बस में रखें, चाहे दीवार पर टांगें, चाहे हाथ पर बांधें...".. 🤣 ज्योतिषी ने बोर्ड पर स्लोगन लिखवाया ..😅

दिसम्बर....सिर्फ साल का अंतिम महीना नहीं होता ...

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दिसम्बर, महीना होता है जब पूरे साल के दरम्यान गई गुजरी हर एक बात एक बार फिर आपकी आंखों के आगे से घूम जाती है। जब ओस भरी सुबह और मुलायम कम्बल के रेशों के बीच नींद खुलती है और अंगड़ाई लेते हुए आप बिस्तर छोड़ने की कोशिश करते हैं, उस वक़्त एक ख्याल जरूर आता है मन मे कि आज दिसम्बर की फलां तारीख हो गई, अब बस इतने दिन और बचे हैं इसे पूरा होने को! भले ही यह ख्याल किसी और महीने में आए या ना आए, दिसम्बर में जरूर आता है। इस दिसम्बर की धूप सिर्फ अपने साथ उजाला और तन को सुकून देने वाली गर्माहट ही नहीं लेकर आती, बल्कि वो लेकर आती है उन तमाम गुजरे हुए पलों को और उन सभी खट्टी मीठी यादों को, जिनमे से कुछ को आप दोबारा जी लेना चाहते हैं , उस समय मे वापस पहुँचकर, तो कुछ से बस पीछा छुड़ा लेना चाहते हैं! यह वो महीना होता है जब एक साथ उत्साह और अफसोस दोनों आपके पीछे पड़ जाते हैं! उत्साह, पूरे साल भर किए गए अच्छे कामों का और आपके द्वारा गुजारे गए खूबसूरत पलों का.....और अफसोस उन गलतियों के लिए, जिन्होने भले ही आपके सीख तो दी, लेकिन नुकसान भी किया! इसी दिसम्बर की गुनगुनाती दोपहरी में छत पर बैठे, पेड़ों को हिलते काँपत

क्योंकि वो अनपढ़ थी ना ...

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  एक मध्यम वर्गीय परिवार के एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 90% अंक प्राप्त किए।   पिता ने मार्कशीट देखकर खुशी-खुशी अपनी बीवी को कहा कि बना लीजिए मीठा दलिया, स्कूल की परीक्षा में आपके लाड़ले को 90% अंक मिले हैं ..! माँ किचन से दौड़ती हुई आई और बो ली, "..मुझे भी बताइये, देखती हूँ...! इसी बीच लड़का फटाक से बोला... "बाबा उसे रिजल्ट कहाँ दिखा रहे हैं ?... क्या वह पढ़-लिख सकती है ? वह अनपढ़ है ...!" अश्रुपूर्ण आँखों को पल्लू से पूछती हुई माँ दलिया बनाने चली गई.  ये बात पिता ने देखी...!  फिर तुरंत उन्होंने लड़के के कहे हुए वाक्यों में जोड़ा और कहा... "हां रे ! वो भी सच है...! जब हमारी शादी हुई तो तीन महीने के अंदर ही तुम्हारी माँ गर्भवती हो गई.. मैंने सोचा शादी के बाद कहीं घूमने नहीं गए... एक दूसरे को ठीक से हम समझे भी नहीं हैं चलो इस बार अबॉर्शन करवा कर आगे चांस लेते हैं.. लेकिन तुम्हारी माँ ने ज़ोर देकर कहा "नहीं" बाद में चाँस नहीं.... घूमना फिरना और आपस में समझना भी नहीं फिर तेरा जन्म हुआ..... क्योंकि वो अनपढ़ थी ना....! जब तू गर्भ में था तो उसे दूध बिल्कुल

बिहार का बियाह..

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  " बिहार का एगो खास बात है आप चाहे लाख होटल, मैरिज हॉल बनवा लीजिए, बरियाती ठहरने का जो मजा सरकारी स्कूल में है ऊ कहीं नहीं. पोआर बिछा के दरी के ऊपर टेंट हाउस वाला उजरा गुलाबजामुन जैसा तकिया फेंका-फेंकी में अलग लेवल का आनन्द आता है. खिड़की से सन्न-सन्न पछिया बह रहा है आ खिड़की का एगो पल्ला गायब है. दीवार से पीठ लगाकर बैठिए त दीवार का आधा चूना झड़ जाता है. बाहर लड़के का फूफा लड़की के चच्चा से अलगे लड़ रहा है “बताइए ईहाँ दीशा-पैखाना का कोई बेवस्थे नहीं है.. हमारा लड़का कहाँ जाएगा. लाइट का भी कोनो ठीक जोगाड़ नहीं देख रहे हैं. ई घुप्प अन्हार में हम आज अर्थिंग पर मूत आते. बताइए हमारा तो जीवने अन्हार हो जाता. अरे पैसा का कमी था तो बताते हमही आकर सब बेवस्था कर जाते.” स्कूल के गेट पर रिमझिम बैंड पार्टी का रंगरूट सब फिरंगी आर्मी जैसा ड्रेस पहिने ढोल-ताशा बजाए बेहाल पड़ा है. पिंपनी वाला अपना फेफड़ा का पूरा दम झोंक दे रहा है. आ स्टार गायक हाथ में आधा घण्टा से माइक लेकर खाली “रेडी वन टू थ्री, वन टू थ्री” कर रहा है. गाना शुरू किया “अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो दर पे सुदामा गरीब आ गया है.” उधर से लड़के

Crush क्या होता है..

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  किसी ने पूछा ये Crush क्या होता है हमने कहा! undefined शब्द है....!!!! भला ऐसा कैसे हो सकता है, के कोई शब्द हो और undefined हो, कुछ शब्द होते हैं जो आजकल के ज़माने में फैशन बन जाते हैं, उन्ही में से एक Crush है, लोग एक मिनट में बोल देते हैं ... मेरी Crush / मेरा Crush और इस तरह से ये शब्द है जिसे बोल सकते "फैशन के दौर में गारंटी की इच्छा न करें" ! हर रोज Crush चेंज हो जाते हैं, फिर इसकी प्युरिटी ही वाहियात हो जाती है ...! लेकिन अगर सच मे Crush की बात करें... तो Crush वो होता है , ▪️जिसके लिए जुनून हो। ▪️जिसके सामने अपना हर शब्द इसलिए फीका हो क्योंकि उसके हर शब्द में आकर्षण है । ▪️जिसके लिए हर दफ़ा उतनी ही बेचैनी बरकरार रहे जितनी पहली नजर में रही हो। ▪️ जिसकी हज़ार कमियां भी उसके सामने बेबुनियाद लगे। ▪️ जहां पता हो उसकी जिंदगी का कोई सिरा भी तुम्हारे लिए रिक्त नही है फिर भी उसके लिए समर्पण हो। ▪️ जहां निःस्वार्थ लगाव हो, जहां मन उसके नाम मात्र पर श्रद्धा और सद्भाव रखता हो। ▪️जहां प्रेम बदले में प्रेम की आस न हो। ▪️ Crush प्रेम से भी पवित्र और गहरा शब्द है, शायद इसे Define करना

बाप और बेटी का रिश्ता

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  बेटी की विदाई के वक्त बाप ही सबसे आखिरी में रोता है, क्यों, चलिए आज आप विस्तारित रूप से समझिए। बाकी सब भावुकता में रोते हैं, पर बाप उस बेटी के बचपन से विदाई तक के बीते हुए पलों को याद कर करके रोता है।   माँ_बेटी के रिश्तों पर तो बात होती ही है, पर बाप और बेटी का रिश्ता भी समुद्र से गहरा है। हर बाप घर के बेटे को गाली देता है, धमकाता और मारता है, पर वही बाप अपनी बेटी की हर गलती को नकली दादागिरी दिखाते हुए, नजर अंदाज कर देता है। बेटे ने कुछ मांगा तो एक बार डांट देता है, पर अगर बिटिया ने धीरे से भी कुछ मांगा तो बाप को सुनाई दे जाता है और जेब में रूपया हो या न हो पर बेटी की इच्छा पूरी कर देता है। दुनिया उस बाप का सब कुछ लूट ले तो भी वो हार नही मानता, पर अपनी बेटी के आंख के आंसू देख कर खुद अंदर से बिखर जाए उसे बाप कहते हैं। और बेटी भी जब घर में रहती है, तो उसे हर बात में बाप का घमंड होता है। किसी ने कुछ कहा नहीं कि वो बेटी तपाक से बोलती है, "पापा को आने दे फिर बताती हूं।" बेटी घर में रहती तो माँ के आंचल में है, पर बेटी की हिम्मत उसका बाप रहता है। बेटी की जब शादी में विदाई होती है

तर्क करना एक कमजोरी है...

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  तर्क करना एक कमजोरी है । और तर्क सहना सामर्थ्य है । तर्क जन्म ही वहाँ से लेते हैं... जहाँ हम अपने आपको दूसरों से श्रेष्ठ समझने की भूल कर बैठते हैं । तर्क का अर्थ है.. दूसरों के सत्य को स्वीकार ना कर पाने की कमजोरी ।            तर्कवादी का अर्थ ज्ञानी नहीं... अपितु वो है जिसके अंदर दूसरों के ज्ञान के प्रति सम्मान नहीं ।  दूसरे के बातों और विचारों का अपनी वुद्धि के स्तर से अर्थ निकालना ही तर्कवादी का लक्षण है । तर्क से रिश्तों में फर्क आ जाता है... और ज्यादा तर्क नर्क की ओर जाने का भी कारण बन जाता है ।      भगवान महावीर कहते हैं... कि अनेकांत में जीना सीख लो, आपके सारे तर्क स्वतः ही समाप्त हो जायेंगे । माना कि अन्धकार के बाद प्रकाश अवश्य होता है । मगर केवल उनके लिए जिनके पास दृष्टि है, और आँखे हैं ।।            इत़्र से कपड़ों को              म़हक़ाना बड़ी बात              नही, मज़ा तो तब है              जब ख़ुशब़ू आपके              क़िरदार से आए...!        दर्पण जब चेहरे का              दाग़ दिखाता है,              तब हम दर्पण नही              तोड़ते बल्कि दाग़              साफ़ करते ह

ऐसे लड़के बहुत कम होते है...

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  वो लड़के जो मिर्च लगने पर बिजली की फुर्ती से पानी दे दे...♥️ जो हाथ पोछने को अपना रुमाल आगे कर दे.. वो जिन्हें तुम्हारे ऑफ शोल्डर टॉप से ज्यादा पसंद हो तुम्हारा वन साइडेड दुपट्टा.. वो लड़के जो बहुत प्यार आने पर तुम्हारी छाती के बजाय माथे को चूमना चाहे.. वो लड़के जिन्हें पहले निवाले पर तुम्हारे खाने की चिंता सताने लगे.. वो लड़के जो रात भर मुस्कुरा कर सुनते रहे तुम्हारे बचपन के दोहराए किस्से... वो स्पोर्ट्स के दीवाने लड़के जो गुनगुनाने लगे तुम्हारे साथ मीर और फ़राज़ की नज़्में... वो कम बोलने वाले लड़के पर जिन्हें अखरती हो तुम्हारी चुप्पी... जो बन्द कमरों में तुम्हारे जिस्मो में नही बल्कि जुल्फों में उलझना चाहे.. वो जो बात करते करते तुम्हारे सो जाने पर "पगली सो गई" कहकर बिना झुंझलाए सो जाते हैं... ऐसे लड़के बहुत कम होते है........ पर जब मिल जाये कोई ऐसा तो थाम लेना उनका हाथ.. वो लड़के ईश्वर की बक्शी नेमत होते है..💔

मैं हिंदू हूँ .....

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  मैं हिंदू हूँ ..... जब से मैंने होश संभाला है लगातार सुनता आ रहा हूँ कि बनिया कंजूस होता है! नाई चतुर होता है! ब्राह्मण धर्म के नाम पर सबको बेवकूफ बनाता है! यादव की बुद्धि कमजोर होती है! राजपूत अत्याचारी होते हैं! दलित गंदे होते हैं! जाट और गुर्ज्जर बेवजह लड़ने वाले होते हैं! मारवाड़ी लालची होते हैं! और ना जाने ऐसी कितनी असत्य परम ज्ञान की बातें सभी हिन्दुओं को आहिस्ते - आहिस्ते सिखाई गयी! नतीजा! हीन भावना!!  एक दूसरे की जाति पर शक और द्वेष धीरे- धीरे आपस में टकराव होना शुरू हुआ और अंतिम परिणाम हुआ कि मजबूत, कर्मयोगी और सहिष्णु हिन्दू समाज आपस में ही लड़कर कमजोर होने लगा ! उनको उनका लक्ष्य प्राप्त हुआ ! हजारों साल से आप साथ थे! आपसे लड़ना मुश्किल था! अब आपको मिटाना आसान है!🎯 ✅ आपको पूछना चाहिए था कि अत्याचारी राजपूतों ने सभी जातियों की रक्षा के लिए हमेशा अपना खून क्यों बहाया?🙄 ✅ आपको पूछना था कि अगर दलित को ब्राह्मण इतना ही गन्दा समझते थे तो बाल्मीकि रामायण जो एक दलित ने लिखा उसकी सभी पूजा क्यों करते हैं?🤔 ✅ माता सीता क्यों महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहती?🤔 ✅ आपने नहीं पूछा कि आपको

जिम्मेदार आप स्वयं है...

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  एक महिला रोज मंदिर जाती थी ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर नही आया करूँगी ! इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ? तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है ! कुछ पूजा कम पाखंड,दिखावा ज्यादा करते हैं ! इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं ! महिला बोली -आप बताइए क्या करना है ? पुजारी ने कहा -- एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए । शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये ! महिला बोली -- मैं ऐसा कर सकती हूँ ! फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया ! उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे - 1.क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा? 2.क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा? 3.क्या किसी को पाखंड करते देखा? महिला बोली -- नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा ! फिर पुजारी बोले --- जब आप परिक्रमा लगा रही थीं तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इ

कर्म का फल...

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एक राजा के दरबार मे कर्म के ऊपर बहस छिड़ी हुई थी ! कोई कहता कर्म का फल ऊपर वाले पर छोड़ दीजिए तो कोई कहता मरने के बाद जीव का क्या होता है आजतक किसी को कुछ पता नहीं ! तो कोई कहता कर्म का फल सबको इसी जन्म में मिलता है ! राजा ने निर्णय लिया कि इसे प्रत्यक्ष व्यवहार में लाकर परिणाम देखा जाए !  राजा ने अपने तीन मन्त्रियो को दरबार में  बुलाया और  तीनो को आदेश  दिया के एक - एक थैला ले कर बगीचे  में  जाएं और वहां  से अच्छे से अच्छे और बढ़िया से बढ़िया फल जमा कर लाएं !  वो तीनो अलग - अलग बाग़ में प्रविष्ट हो गए ! पहले मन्त्री ने कोशिश की राजा के लिए उसकी पसंद के  अच्छे  -अच्छे  और मज़ेदार फल जमा किए जाएं  उस ने  काफी मेहनत के बाद  बढ़िया और ताज़ा फलों से थैला  भर  लिया ! दूसरे मन्त्री ने  सोचा कि  राजा हर फल  का परीक्षण  तो करेगा नहीं  इस लिए उसने जल्दी -जल्दी  थैला भरने में  ताज़ा , कच्चे , गले  सड़े फल भी  थैले में भर लिए ! तीसरे  मन्त्री  ने  सोचा राजा  की  नज़र तो सिर्फ भरे हुए थैले  की  तरफ होगी  वो  खोल  कर  देखेगा  भी नहीं  कि  इसमें  क्या  है ? उसने  समय बचाने  के  लिए  जल्दी  - जल्दी  इसमें 

भीतर ही निर्णायक है।

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  एक वैश्या मरी और उसी दिन उसके सामने रहने वाला बूढ़ा सन्यासी भी मर गया,संयोग की बात है।देवता लेने आए सन्यासी को नरक में और वैश्या को स्वर्ग में ले जाने लगे। संन्यासी एक दम अपना डंडा पटक कर खड़ा हो गया,तुम ये कैसा अन्याय कर रहे हो? मुझे नरक में और वैश्या को स्वर्ग में ले जा रहे हो,जरूर कोई भूल हो गई है तुमसे,कोई दफ्तर की गलती रही होगी, पूछताछ करो..मेरे नाम आया होगा स्वर्ग का संदेश और इसके नाम नर्क का। मुझे परमात्मा का सामना कर लेने दो, दो दो बातें हो जाए,सारा जीवन बीत गया शास्त्र पढ़ने में--और ये परिणाम। मुझे नाहक परमात्मा ने धोखे में डाला।उसे परमात्मा के पास ले जाया गया, परमात्मा ने कहा इसके पीछे एक गहन कारण है, वैश्या शराब पीती थी, भोग में रहती थी...... पर जब तुम मंदिर में बैठकर भजन गाते थे,धूप दीप जलाते थे,घंटियां बजाते थे,,,तब वह सोचती थी कब मेरे जीवन में यह सौभाग्य होगा,मैं मंदिर में बैठकर भजन कर पाऊंगी कि नहीं,वह ज़ार जार रोती थी, और तुम्हारे धूप दीप की सुगंध जब उसके घर मेम पहुंचती थी तो वह अपना अहोभाग्य समझती थी, घंटियों की आवाज सुनकर मस्त हो जाती थी।लेकिन तुम्हारा मन पूजापाठ कर

मैं और मेरी चाय...

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  आज सुबह सुबह फिर मेरा और मेरी चाय का झगड़ा हो गया,,,, और वो फिर मुझसे रूठ गयी, मैन पूछा क्या हुआ, क्यों ऐसे गर्म आहें भर रही हो ? कहने लगी,, तुम हमेशा ही ऐसा करते हो, एक घूंट के बाद मुझे टेबल पर एक ओर रख के भूल जाते हो, और फिर जुट जाते हो अपनी कल्पनाओं में,,,,😏 अरे ऐसा नही है,,,, वो बस.....😐 क्या बस ? वो गुस्से में और ज्यादा लाल और गर्म हो रही थी । अरे भूला नही था तुम्हे, बस तुम्हे थोड़ा ठंडा कर रहा था,, यु सुबह सुबह तुम्हारी नाक पर इतना गुस्सा रहता है,, की तुम मेरा मुह ही जला दो ।😛 तुम रहने दो,, वैसे तो मैं तुम्हे गर्म ही पसंद हूँ, लेकिन सुबह सुबह न जाने किसका खयाल तुम्हे ले उड़ता है कि तुम मुझे भी भूलकर बस मोबाइल में  खिटीर-पिटिर में जुट जाते हो......! कोन है वो आखिर जो हर रोज सुबह तुम्हारे मेरे बीच आ जाता है ?......बताओ ?😡 बताऊं ??☺️ हां बताओ,, मैं भी देखूं कौन है वो😏 अरे........अच्छा तुम नाराज़ मत हो,,, तुम ही तो हो जो मेरे साथ साथ उसके खयालों को हर रोज़ सुबह जगाती हो,, तुम्हारा पहला घूंट गले के नीचे उतरते ही मुझे उसका खयाल आता है, और मैं खो जाता हूँ अपनी कल्पनाओं में,, प्याले से

प्रणाम करने का स्वभाव..

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  प्राचीन काल में मृकण्ड नाम के एक विख्यात मुनि थे। उनका एक पुत्र था। एक दिन एक सिद्ध ज्ञानी ने उस बालक की ओर बहुत गंभीरता से देखा और कुछ गहन विचार किया। पिता ने पूछा कि मेरे पुत्र की कितनी आयु है...? सिद्ध ज्ञानी बोले कि इसके जीवन में अब केवल 6 माह और शेष रह गए हैं। उस बालक की आयु केवल 5 वर्ष 6 माह की थी। उस सिद्ध ज्ञानी की बात सुनकर बालक के पिता ने बालक का उपनयन संस्कार कर दिया और उससे कहा बेटा तुम जबभी जिस किसी मुनि को देखो उन्हें प्रणाम करो। सप्तऋषियों ने उस बालक को दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया । इतना करने के बाद जब उन्होंने उसकी आयु पर विचार किया तब 5 ही दिन की आयु शेष जानकर उन्हें बड़ा दु:ख हुआ। फिर वे उस बालक को लेकर ब्रह्मा जी के पास गए। बालक ने ब्रह्मा जी के चरणों में प्रणाम किया। ब्रह्मा जी ने भी उसे चिरायु होने का आशीर्वाद दिया। पितामह का वचन सुनकर ऋषियों को बड़ी प्रसन्नता हुई ,तत्पश्चात ब्रह्मा जी ने उनसे पूछा "आप लोग किस काम से यहां आए हैं तथा यह बालक कौन है.....?" ऋषियों ने कहा कि यह बालक मृकण्ड का पुत्र है, इसकी आयु क्षीण हो चुकी है। इसका सब को प्रणाम करने का

हज़ार अच्छाइ - एक बुराई ..

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  एक राजा ने 10 खूंखार जंगली कुत्ते पाल रखे थे, जिनका इस्तेमाल वह लोगों को उनके द्वारा की गयी गलतियों पर मौत की सजा देने के लिए करता था।  एक बार कुछ ऐसा हुआ कि राजा के एक पुराने मंत्री से कोई गलती हो गयी। अतः क्रोधित होकर राजा ने उसे शिकारी कुत्तों के सम्मुख फिकवाने का आदेश दे डाला। सजा दिए जाने से पूर्व राजा ने मंत्री से उसकी आखिरी इच्छा पूछी। “राजन ! मैंने आज्ञाकारी सेवक के रूप में आपकी 10 सालों से सेवा की है…मैं सजा पाने से पहले आपसे 10 दिनों का समय चाहता हूँ।” मंत्री ने राजा से निवेदन किया। राजा ने उसकी बात मान ली। दस दिनों के उपरांत राजा के सैनिक मंत्री को पकड़ कर लाते हैं और राजा का इशारा पाते ही उसे खूंखार कुत्तों के सामने फेंक देते हैं। परंतु यह क्या कुत्ते मंत्री पर टूट पड़ने की बाजए अपनी पूँछ हिला-हिला कर मंत्री के ऊपर कूदने लगते हैं और प्यार से उसके पैर चाटने लगते हैं।  राजा आश्चर्य से यह सब देख रहा था उसने मन ही मन सोचा कि आखिर इन खूंखार कुत्तों को क्या हो गया है ? वे इस तरह क्यों व्यवहार कर रहे हैं ? अंततः जब राजा से रहा नहीं गया उसने मंत्री से पुछा ,” ये क्या हो रहा है , ये

एक चिड़ीमार...

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  बाजार में एक चिड़ीमार तीतर बेच रहा था... उसके पास एक बडी जालीदार टोकरी में बहुत सारे तीतर थे..! और एक छोटी जालीदार टोकरी में सिर्फ एक ही तीतर था..! एक ग्राहक ने पूछा एक तीतर कितने का है..? "40 रूपये का..!" ग्राहक ने छोटी टोकरी के तीतर की कीमत पूछी। तो वह बोला, "मैं इसे बेचना ही नहीं चाहता..!" "लेकिन आप जिद करोगे, तो इसकी कीमत 1000 रूपये होगी..!" ग्राहक ने आश्चर्य से पूछा, "इसकी कीमत इतनी ज़्यादा क्यों है..?" "दरअसल यह मेरा अपना पालतू तीतर है और यह दूसरे तीतरों को जाल में फंसाने का काम करता है..!" "जब ये चीख पुकार कर दूसरे तीतरों को बुलाता है और दूसरे तीतर बिना सोचे समझे ही एक जगह जमा हो जाते हैं फिर मैं आसानी से सभी का शिकार कर लेता हूँ..!" बाद में, मैं इस तीतर को उसकी मनपसंद की 'खुराक" दे देता हूँ जिससे ये खुश हो जाता है..! "बस इसीलिए इसकी कीमत भी ज्यादा है..!" उस समझदार आदमी ने तीतर वाले को 1000 रूपये देकर उस तीतर की सरे आम बाजार में गर्दन मरोड़ दी..! उसने पूछा "अरे, ज़नाब आपने ऐसा क्यों किया..? उसका जव

आज वो घर पर है - इसलिए ....

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  घर जाने के लिए निकला। अशांत और विचलित मन लिए सब्जी मंडी पहुँचा कुछ सब्जियाँ खरीदीं। आज कुछ देर हो गई थी तो घर पहुँचकर खिचड़ी अथवा मैगी बना लेने का विचार चल रहा था। पिछले सप्ताह के एक भी कपड़े धुले नहीं थे अतः 5-6 दिन से एक ही जीन्स को रगड़ रहा था। एक हाथ से काँधे पर लटके बैग को सम्हालता और दूसरे हाथ में दूध की थैली पकड़े पसीने से तरबतर चेहरा लिए घर पहुँचा। द्वार का ताला खोलना चाहा तो देखा, पल्ले भर भिड़के हुए थे, ताला खुला था। कुछ चिंतित हुआ। जैसे ही घर में प्रवेश किया तो यूँ लगा मानो स्वर्ग में आ गया हूँ। शंका हुई कि, किसी दूसरे के घर में तो नहीं आ गया ? खामोशी से अंदर के कमरे में गया। फ्रीज खोला तो भीतर की ठंडक चेहरे से टकराई। कोने में अचार रखा हुआ था। मैथी की भाजी बारीक और व्यवस्थित कतरी हुई करीने से रखी थी। सुबह तो फ्रीज में एक ठो बिस्किट पैकेट रखने की जगह नहीं थी, सारा फ्रीज भरा पड़ा था और अब देखो, साफ सुथरी जगह ही जगह थी। धीरे से साथ लाई हुई सब्जियाँ भी फ्रीज में ही रख दीं। कोने में रखी पानी की टंकी, जिसने हफ्ते भर से पानी का मुँह नहीं देखा था अब, पूरी भरी हुई चमक रही थी। तभी ध्यान ग

You were born a Winner

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  Science says that the amount of semen that is released once an adult healthy male has intercourse contains 400 million sperm. So, according to logic, if that amount of sperm found a place in the womb of a girl, then 400 million babies would be created! Out of this 400 million sperm, running like crazy towards the egg, only 300-500 sperm survive. And the rest? They die of exhaustion or defeat on the way. These are 300-500 sperm, which have been able to reach the ovum. Only one of them, a very strong sperm, fertilizes the ovum, or takes a seat in the ovum. That lucky sperm is you or me, or all of us. Have you ever thought of this great war? 1. When you ran "there were no eyes, hands, feet, head, yet you won. 2. When you ran, you didn't have a certificate, you didn't have a brain, but you won. 3. You had no #education when you ran, no one helped but you won. 4. You had a destination when you ran and you ran with a single mind, aiming at that destination and you won in the e

कौन था वो आदमी ?

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  ऑन-ड्यूटी नर्स उस चिंतित युवा सेना के मेजर को उस बिस्तर के पास ले गई। "आपका बेटा आया है," उसने धीरे से बिस्तर पर पड़े बूढ़े आदमी से कहा। बुजुर्ग की आंखें खुलने से पहले उसे कई बार इन्ही शब्दों को बार बार दोहराना पड़ा। दिल के दौरे के दर्द के कारण भारी बेहोशी की हालत में हल्की हल्की आंखे खोलकर किसी तरह उन्होंने उस युवा वर्दीधारी मेजर को ऑक्सीजन टेंट के बाहर खड़े देखा। युवा मेजर ने हाथ बढ़ाया। मेजर ने अपने प्यार और स्नेह को बुजुर्ग तक पहुंचाने के लिए नजदीक जाकर ध्यानपूर्वज उन्हें गले लगाने का अधूरा सा प्रयास किया। इस प्यार भरे लम्हे के बाद मेजर ने उन बूढ़े हाथों को अपनी जवान उंगलियों में, प्यार से कसकर थामा और मैं आपके साथ, आपके पास ही हूँ, का अहसास दिलाया। इन मार्मिक क्षणों को देखते हुए, नर्स तुंरन्त एक कुर्सी ले आई ताकि मेजर साहब बिस्तर के पास ही बैठ सके। "आपका धन्यवाद बहन" ये बोलकर मेजर ने एक विनम्र स्वीकृति का पालन किया। सारी रात, वो जवान मेजर वहां खराब रोशनी वाले वार्ड में बैठा रहा, बस बुजुर्ग का हाथ पकड़े पकड़े, उन्हें स्नेह,प्यार और ताकत के अनेको शब्द बोलते बोलते,

मर्द - ऐसे नहीं है

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    दुनिया के तमाम कहानीकारो ने एक गलती कर दी, औरत को और खूबसूरत बनाने के लिए तमाम लोगों ने अपनी कहानी में मर्द को कठोर और संवेदनहीन बना दिया लेकिन असल में मर्द ऐसे नहीं है ये मर्द समय के हिसाब से अवस्था बदलते है   ये मर्द बचपन में हरे घास के दूब जैसे होते हैं जो बस हवाओं के साथ मुस्कुराना जानते है , इन्हे उड़ जाना होता है वादियो में,इनके मन में एक औरत बसी होती है, असल में मर्द का सबसे सुंदर स्वरूप उसका औरत हो जाना ही है जो एक बच्ची की तरह खिलखिलाना चाहते हैं तितलियों की तरह उड़ जाना चाहते है,लेकिन जब यह मर्द... मर्द और औरत की दुनिया में चलना सीखते हैं तो उन्हें महज 5 की उम्र में ही सिखा दिया जाता है कि तुम मर्द हो बे और तुम रो नहीं सकते, रोना तो औरतों का काम है ,लेकिन पंगा तो यार ये है कि दिल तो हम मर्दों के पास भी होता है दर्द तो हम मर्दों को भी होता है बे ... घास के दूब जैसे हम मर्द अकेले में बहुत रोते हैं लेकिन भीड़ ने कभी नहीं रोते। छोटी बहनों को उंगली पकड़ के चलना सिखाने वाले यह मर्द, इनको पता ही नहीं चलता है कि ये कब एक पिता का रूप धारण कर लेते हैं, छोटे भाई बहनों के लिए एक आदर्

मजदूर का बेटा

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हम साथ साथ पढ़ते तब , 8 वीं की बात रही होगी, मेरी टक्कर हमेशा से ही उससे हो जाती थी, और मैं हमेशा उससे हार जाता था। खेल में,  कक्षा के रिजल्ट के स्थान में, हमेशा वो मुझसे बाजी मार लेता था। मुझे इस बात से उससे चिढ़ हो गई थी, वो मजदूर का बेटा ,और मैं सरकारी कर्मचारी का बेटा हमारी बराबरी कैसे हो सकती थी, बल्कि वो तो मुझसे दो कदम आगे ही रहता था। मेरी बार बार की हार मुझे तिलमिला देती थी, मैंने एक दिन अपनी हार का बदला ले लिया उससे, जब कक्षा में कोई नहीं था उसके बस्ते से उसकी दो किताबें निकाल कर फाड़ दी। जब उसने अपना बस्ता सम्भाला तो फ़टी हुई किताबें देखकर उसकी आँखों से झर्र झर्र आंसू बहने लगे। उसने केवल रोती हुई आंखों से मुझे देखा था, कुछ कहा नहीं। अगले रोज उसकी आंख के पास चोट का निशान था, एक दोस्त ने बताया उसकी किताब फट गई इसके लिए उसके बापू ने उसे मारा था। मुझे बहुत शांति मिली, उसकी पिटाई का सुनकर। अगली कक्षा में वो पढ़ने नहीं आया, पता चला उसने पढाई छोड़ दी है और अपने बापू के साथ मजदूरी पर जाने लगा है,मुझे ये किसी बड़ी जीत से कम न लगा, उसी साल पापा का ट्रांसफर होने के कारण हमें गांव से दूर जाना प

हरसिंगार.... नाम में ही कितना रस, कितना आकर्षण है

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  हरसिंगार.... नाम में ही कितना रस, कितना आकर्षण है। श्वेत पंखुड़ियां, केसरिया डंडी और पंखुड़ियों के बीच मे लाल तिलक। ऐसा लगता है कि फूल ने सारे शृंगार कर लिए और सादगी भी बनाए रखी। हो सकता है हर तरह के शृंगार का अपभ्रंश हो-हरसिंगार। दुष्यंत जी ने लिखा है: तूने ये हरसिंगार हिलाकर बुरा किया, पांवों की सब ज़मीन को फूलों से ढंक लिया... मैं देखता था Nallasopara में मेरी पुरानी रिहाइश के सामने वाली सोसाइटी में एक मलयाली महिला रहती थीं ग्राउंड फ्लोर पर। उनके फ्लैट के सामने 2 पेड़ थे हरसिंगार के। वो पतली धोती या दुप्पटा जैसा कुछ बिछा दिया करती थीं शाम को और रात को झरते थे हरसिंगार उसे वो भगवान कार्तिकेय या अयप्पा को अर्पित करती थीं।  हरसिंगार को तोड़ते नहीं, इनकी प्रतीक्षा करते हैं खुद से झर जाने की. इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि हरिवंश पुराण में प्रसंग आता है कि स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी भी जब थककर निस्तेज हो जाती थी, वह हरसिंगार को छूती थी तो उसका आकर्षण,उसकी चपलता सब उसे वापस मिल जाती थी। हरसिंगार या पारिजात या शेफ़ाली जो भी कह लें, उसके फूल उस डाल के नीचे नहीं बल्कि थोड़ा आगे गिरते हैं, जिससे वे

बेटी पराई नहीं लगती

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  बेटी जब शादी के मंडप से ससुराल जाती है तब पराई नहीं लगती मगर जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद सामने टंगे टाविल के बजाय अपने बैग से छोटे से रुमाल से मुंह पौंछती है , तब वह पराई लगती है. जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी खड़ी हो जाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है. जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है. जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है. जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है..... और लौटते समय 'अब कब आएगी' के जवाब में 'देखो कब आना होता है' यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई ऐसे लगती है..... लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद जब वह चुपके से अपनी आखें छुपा के सुखाने की कोशिश करती । तो वह परायापन एक झटके में बह जाता तब वो पराई सी लगती 😪 नहीं चाहिए हिस्सा भइया मेरा मायका सजाए रखना , कुछ ना देना मुझको बस प्यार बनाए रखना , पापा के इस घर में मेरी याद

अच्छे और बुरे लोगों की पहचान

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  बहुत समय पहले की बात है। नदी के तट पर एक गांव बसा था और उसी के नजदीक एक संत का आश्रम था। एक बार संत अपने शिष्यों के साथ नदी में स्नान कर रहे थे, तभी एक राहगीर वहां आया और संत से पूछने लगा, ‘‘महाराज, मैं परदेस से आया हूं और इस जगह पर नया हूं। क्या आप बता सकते हैं कि इस गांव में किस तरह के लोग रहते हैं?’’ यह सुनकर संत ने उससे कहा, ‘‘भाई, मैं तुम्हारे सवाल का जवाब बाद में दूंगा। पहले तुम मुझे यह बताओ कि तुम अभी जहां से आए हो, वहां किस प्रकार के लोग रहते हैं?’’ इस पर वह व्यक्ति बोला, ‘‘उनके बारे में क्या कहूं महाराज! वहां तो एक से एक कपटी, दुष्ट और बुरे लोग बसे हुए हैं।’’ तब संत ने उससे कहा, ‘‘तुम्हें इस गांव में भी बिल्कुल उसी तरह के लोग मिलेंगे-कपटी, दुष्ट और बुरे।’’ इतना सुनकर वह राहगीर आगे बढ़ गया। कुछ समय बाद वहां से एक और राहगीर का गुजरना हुआ। वह भी किसी नई जगह पर बसने की इच्छा रखता था। उसने संत से पूछा, ‘‘महात्मन, मुझे यहां की आबोहवा ठीक लगती है। क्या आप बता सकते हैं कि इस गांव में कैसे लोग रहते हैं?’’ संत ने उससे भी वही सवाल पूछा, जो उन्होंने पहले राहगीर से पूछा था। इस पर राहगीर

जैसा अन्न वैसा मन...

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एक बार एक ऋषि ने सोचा कि लोग गंगा में पाप धोने जाते है, तो इसका मतलब हुआ कि सारे पाप गंगा में समा गए और गंगा भी पापी हो गयी ! अब यह जानने के लिए तपस्या की, कि पाप कहाँ जाता है ? तपस्या करने के फलस्वरूप देवता प्रकट हुए , ऋषि ने पूछा कि भगवन जो पाप गंगा में धोया जाता है वह पाप कहाँ जाता है ? भगवन ने जहा कि चलो गंगा से ही पूछते है, दोनों लोग गंगा के पास गए और कहा कि "हे गंगे ! जो लोग तुम्हारे यहाँ पाप धोते है तो इसका मतलब आप भी पापी हुई !" गंगा ने कहा "मैं क्यों पापी हुई, मैं तो सारे पापों को ले जाकर समुद्र को अर्पित कर देती हूँ !" अब वे लोग समुद्र के पास गए, "हे सागर ! गंगा जो पाप आपको अर्पित कर देती है तो इसका मतलब आप भी पापी हुए !"समुद्र ने कहा "मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को लेकर भाप बना कर बादल बना देता हूँ !" अब वे लोग बादल के पास गए और कहा "हे बादलो ! समुद्र जो पापों को भाप बनाकर बादल बना देते है, तो इसका मतलब आप पापी हुए !" बादलों ने कहा "मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को वापस पानी बरसा कर धरती पर भेज देता हूँ

भगवान् है साहब ... भगवान् तो है...

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  एक मेजर साहब के नेतृत्व में बीस जवानों की एक टुकड़ी हिमालय के अपने रास्ते पर थी । बेतहाशा ठण्ड में मेजर ने सोचा की अगर उन्हें यहाँ एक कप चाय मिल जाती तो आगे बढ़ने की ताकत आ जाती लेकिन रात का समय था आस पास कोई बस्ती भी नहीं थी।लगभग एक घंटे की चढ़ाई के पश्चात् उन्हें एक जर्जर चाय की दुकान दिखाई दी । लेकिन अफ़सोस उस पर ताला लगा था । भूख और थकान की तीव्रता के चलते जवानों के आग्रह पर मेजर साहब दुकान का ताला तुड़वाने को राज़ी हो गये ताला तोडा गया, तो अंदर उन्हें चाय बनाने का सभी सामान मिल गया । जवानों ने चाय बनाई साथ वहां रखे बिस्किट आदि खाकर खुद को राहत दी । थकान से उबरने के पश्चात् सभी आगे बढ़ने की तैयारी करने लगे , लेकिन मेजर साहब को यूँ चोरो की तरह दुकान का ताला तोड़ने के कारण आत्मग्लानि हो रही थी । उन्होंने अपने पर्स में से दो हज़ार का एक नोट निकाला और चीनी के डब्बे के नीचे दबाकर रख दिया तथा दुकान का शटर ठीक से बंद करवाकर आगे बढ़ गए । चार महीने की समाप्ति पर इस टुकड़ी के सभी बीस जवान सकुशल अपने मेजर के नेतृत्व में उसी रास्ते से वापस आ रहे थे । रास्ते में उसी चाय की दुकान को खुला देखकर वहां सभी व

पुरुष होते ही ऐसे हैं.........

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• वो जो शाम को आफिस से घर से आते समय खुद भले न कुछ खाये पिए लेकिन तुम्हारे लिए हाफ प्लेट ग्रेवी मंचूरियन और एक प्लेट डिमसम पैक करवा लाता है. • वो लड़का है , जो अचानक से बंद कर देता है ब्रांडेड क्लोथिंग्स और उतर जाता है धारीदार शर्ट और सिंगल प्लेट वाली पैंट में ..ये बोलकर की फॉर्मल में आराम फील होता है.ताकि तुम अपने लिए नागपंचमी से लेकर नवरात्रि - दीवाली और मकर संक्रांति पर नए ब्रांडेड टी शर्ट प्लाजो , जैगिंग्स खरीद पाओ. • जो लड़का FZ से धनिया तक खरीदने जाता था वो रोज अब आफिस बस से जाता है..वो भी बस स्टैंड तक पैदल जाकर..कार को बहुत कम हाथ लगाता है.ताकि तुमहे अगर कहीं जाना हो तो एर्टिगा या उसकी दी हुई तुम अपनी यामा फासिनो से जा सको. • उसने बालो में हबीब का हेयर सीरम लगाना छोड़ दिया है..अब विराट कोहली की तरह दाढ़ी रखने का भी ध्यान नही रखता..पर तुम्हारे लिए गार्नियर की लाइट कंपलीट क्रीम और ब्लू हेवन के काजल मस्कारे लाइनर्स तक ले देता है.उसके खुद के तीन चार बाल कानो पर सफेद हुए जाते हैं पर तुम्हारे रिबॉन्डिंग करवाये बालो के लिए लगने वाला वो महंगा लॉरेल प्रोफेशनल शेम्पू हर महीने देना नही भूलता.

एक दौर वो भी था...

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  एक दौर वो भी था... धूप में लेंस लेकर कागज़ जलाने वाला नासा का वैज्ञानिक माना जाता था। जिस लड़के को माउथ ऑर्गन बजाना आता था वो रॉकस्टार माना जाता था। प्लास्टिक की डिस्पोजल में गोबर भर के उस में तार और छोटी बल्ब लगा के लाइट पैदा करने वाले एडिसन कहलाते थे। कुछ लड़के कालर चढाकर और हाथ मेँ रूमाल लपेट कर डॉन बना करते थे। प्लास्टिक की बन्दूक को चलाने के बाद जेम्स बांड वाली फिलिंग बडी ही जोरदार हुआ करती थी। जो लड़का अगरबत्ती वाली थैली में पानी भर के आग में रख देता था और थैली नहीं जलती थी उसे किसी वैज्ञानिक से कम नहीं समझा जाता था और गांव के बूढ़े तो उसे जादूगर ही घोषित कर देते थे। एक हाथ से गिरती चड्डी पकड़े दूसरे से साइकिल के टायर को गली में साइकिल से भी तेज घुमाते हुए दौड़ना भी मैराथन वाली फील देता था और अगले ही मोड़ पर पापा से सामना होते ही चड्डी और टायर दोनों जमीन पर मिलते थे और हाथ दोनों गालों पर।

दीपावली स्पेशल

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  दीपावली स्पेशल दीपावली पर मिठाई बांटने के पीछे भी एक सोच होती थी क्योंकि हर मिठाई कुछ कहती है गौर कीजिए, मिठाइयों के  कुछ ना कुछ संदेश.....😊😇 जैसे: रसगुल्ला कोई फर्क नहीं पड़ता कि, जीवन आपको कितना निचोड़ता है, अपना असली रूप सदा बनाये रखें बेसन के लड्डू यदि दबाव में बिखर भी जाय तो, फिर से बंध कर लड्डू हुआ जा सकता है। परिवार में एकता बनाए रखें गुलाब जामुन सॉफ्ट होना कमजोरी नहीं है! ये आपकी खासियत भी है। नम्रता एक विशेष गुण है जलेबी आकार मायने नहीं रखता, स्वभाव मायने रखता है, जीवन में उलझने कितनी भी हो, रसीले और सरल बने रहो बूंदी के लड्डू बूंदी-बूंदी से लड्डू बनता, छोटे-छोटे प्रयास से ही सब कुछ होता हैं! सकारात्मक प्रयास करते रहे. सोहन पापड़ी हर कोई आपको पसंद नहीं कर सकता, लेकिन बनाने वाले ने कभी हिम्मत नहीं हारी। अपने लक्ष्य पर टिके रहो ॰॰ काजू कतली अपने आप को इतना सस्ता ना रखे, कि राह चलता कोई भी आपका दाम पूछता रहे ! आंतरिक गुणवत्ता हमें सबसे अलग बनाती है इसलिए ........   हँसते रहें,हँसाते रहें  🙏 😄😃😋😄😃

सभी गृहणीयो को समर्पित...

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  रसायनशास्त्र से शायद ना पड़ा हो पाला  पर सारा रसोईघर प्रयोगशाला दूध में साइटरीक एसिड डालकर पनीर बनाना या सोडियम बाई कार्बोनेट से केक फूलाना चम्मच से सोडियम क्लोराइड का सही अनुपात तोलती रोज कितने ही प्रयोग कर डालती हैं पर खुद को कोई  वैज्ञानिक नही   बस गृहिणी ही मानती हैं रसोई गैस की बढ़े कीमते या सब्जी के बढ़े भाव  पैट्रोल डीजल महँगा हो या तेल मे आए उछाल  घर के बिगड़े हुए बजट को झट से सम्हालती है अर्थशास्त्री होकर भी  खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं मसालों के नाम पर भर रखा आयूर्वेद का खजाना गमलो मे उगा रखे हैं  तुलसी गिलोय करीपत्ता छोटी मोटी बीमारियों को काढ़े से भगाना जानती है पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं   सुंदर रंगोली और मेहँदी में नजर आती इनकी चित्रकारी सुव्यवस्थित घर में झलकती है इनकी कलाकारी  ढोलक की थाप पर गीत गाती नाचती है  कितनी ही कलाए जानती है पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं समाजशास्त्र ना पढ़ा हो शायद  पर इतना पता है कि  परिवार समाज की इकाई है परिवार को उन्नत कर  समाज की उन्नति में पूरा योगदान डालती है पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं  मनो वैज्ञानिक भले ही ना हो पर घर

ऑनलाइन इश्क़ क्या है....???

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  बार - बार पूछते हो ना कि ऑनलाइन इश्क़ क्या है , तो सुनो:- गुफ्तगू करने की.. अनगिनत ख्वाहिशों के बीच..  "ऑनलाइन" होकर भी चीखती खामोशियाँ.. इश्क़ है..😍 मशरुफ़ियत.. कितनी भी भारी पड़े कैफ़ियत पूछने पर.. बस इक बार.. "Last seen" देखने वाली बेचैनियाँ.. इश्क़ है..😍 व्हाट्सअप पर एक ही msg को बार- बार, हज़ार बार पढ़ना इश्क़ है, उनके msg का इंतज़ार करना इश्क़ है, msg के डबल लाइन को ब्लू लाइन में बदलते देखना इश्क़ है....😍 उसकी "typing..." पर, खुशी से काँपती  उँगलियाँ.. इश्क़ है..😍 उसकी "New profile pic" को.. मिनटों तक.. एकटक झाँकती पलकों की पंखुड़ियाँ.. इश्क़ है..😍 जरा सी आहट पे.. फोन पकड़ कर बैठ जाना.. वो "notification" की टनटनाती घंटियाँ..फिर फ़ोन को म्यूट करना इश्क़ है..😍 कैसे हो? पूछने पर.. "i am fine" बताना लिख कर मिटाना.. मिटा कर छिपाना, वो "draft" में बेबस पड़ी अनकही अर्जियाँ .. इश्क़ है..😍 उसका नाम सुन कर धड़कनों का बढ़ जाना.. और.. उसका नाम सुना कर सहेलियों की मन-मर्जियाँ.. इश्क़ है..😍 देर तक चलने वाली "convo&quo